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चर्चिल ब्रदर्स बना डूरंड कप विजेता

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वीरेन्द्र ओंका
गोआ की फुटबॉल टीम चर्चिल ब्रदर्स को पहली बार विजेता बनाकर एशिया की सबसे पुरानी फुटबॉल प्रतियोगिता डूरंड कप का 120वाँ संस्करण समाप्त हुआ। मुंबई की महिंद्रा युनाइटेड के खिलाफ नाइजीरिया मूल के चर्चिली कप्तान ओडाफे ओकेली द्वारा बनाया गया फाइनल का एकमात्र गोल निर्णायक साबित हुआ।

डूरंड कप विश्व की तीसरी सबसे पुरानी स्पर्धा में है। डूरंड से पहले इंग्लिश एफए कप तथा स्कॉटिश एफए कप की गणना होती है। डूरंड कप फुटबॉल स्पर्धा की शुरुआत 1898 में शिमला में हुई और तब से 2007 संस्करण तक स्पर्धा 120 बार खेली जा चुकी है। कोलकाता की मोहन बागान ने इस स्पर्धा को सर्वाधिक 16 बार जीता है जबकि कोलकाता की ही एक अन्य टीम ईस्ट बंगाल 15 बार विजेता बनी है।

स्पर्धा में इस बार शिरकत करने वाली टीमें : चूँकि कोलकाता में लीग मुकाबले चल रहे थे अतः यहाँ की टीमों ने स्पर्धा में हिस्सा नहीं लिया। जो प्रमुख टीमें स्पर्धा की हिस्सेदार बनीं उनमें प्रथम डिवीजन की टीमें थीं डेम्पो क्लब, सालगाँवकर, स्पोर्टिंग गोआ तथा चर्चिल ब्रदर्स (सभी गोआ), मुंबई से महिंद्रा युनाइटेड एवं एयर इंडिया, पंजाब से जेसीटी व केरल से विवा।

द्वितीय डिवीजन की टीमें थीं एचएएल, पंजाब पुलिस, टीएफए, आर्मी एकादश व ओएनजीसी। इनके अलावा देश की अन्य 18 टीमें भी स्पर्धा में शामिल रहीं। डूरंड कप स्पर्धा में इस बार पुरस्कार राशि थी 20 लाख, इसमें से विजेता को मिले 8 लाख (चर्चिल ब्रदर्स) जबकि उपविजेता (महिंद्रा) को मिलने वाली राशि रही 6 लाख।

चर्चिल और महिंद्रा के बीच खेला गया फाइनल : फाइनल पूर्व के मैचों में 10 गोल कर चुके थे चर्चिल के कप्तान ओडाफे ओकेली और फाइनल भी इसका अपवाद नहीं रहा, ओकेली ने किया फाइनल का एकमात्र गोल व यह साबित किया कि वे अपनी टीम के लिए गोल मशीन हैं।

ओडाफे ने मध्य रेलवे के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में पाँच तथा हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स के खिलाफ चार गोल बनाए थे। उन्हें फाइनल का मैच प्रमुख चुना गया व 5000 की पुरस्कार राशि मिली।

दिल्ली के आम्बेडकर स्टेडियम में पहली बार फ्लड लाइट में खेली गई इस स्पर्धा में महिंद्रा अपने पूर्व के मैचों में भी कुछ विशेष प्रभावित नहीं कर सकी थी, तीन मैचों में उसने सिर्फ एक गोल ही किया था। फाइनल में भी उसकी यही कमजोरी साफ नजर आई और महिंद्रा के फॉरवर्ड चर्चिल के डिफेंस को भेदने में सफल नहीं हो सके।

उधर चर्चिल के कप्तान ओकेली एवं ब्योनी के बीच अच्छा तालमेल था और दोनों ने महिंद्रा पर लगातार आक्रमण करके दबाव बनाए रखा। खेल के 11वें मिनट में ही बर्नाडो ने ओकेली को एक सुंदर पास दिया और उन्होंने अवसर को जाया नहीं किया। महिंद्रा के गोलकीपर संदीप नंदी गेंद को रोक नहीं पाए, गोल बन गया और यही गोल निर्णायक भी साबित हुआ।

हालाँकि कलकतिया टीमों की गैर मौजूदगी में ही चर्चिल और महिंद्रा का फाइनल में पहुँचना और चर्चिल का पहली बार विजेता बनना संभव हो सका फिर भी चर्चिल के कप्तान ओकेली के शानदार प्रदर्शन को विस्मृत नहीं किया जा सकता जिन्होंने 4 मैचों में 11 गोल (सर्वाधिक) बनाए और डूरंड स्पर्धा का गोल्डन बूट पुरस्कार प्राप्त करने में सफल रहे।

डूरंड फुटबॉल स्पर्ध
* फाइनल- चर्चिल ब्रदर्स विवि महिंद्रा युनाइटेड 1-0
* सेमीफाइनल- चर्चिल ब्रदर्स विवि एयर इंडिया 3-2। महिंद्रा युनाइटेड विवि सालगाँवकर 4-2 (टाईब्रेकर में)
* क्वार्टर फाइनल- चर्चिल ब्रदर्स विवि सेंट्रल रेलवे 6-1, महिंद्रा युनाइटेड विवि स्पोर्टिंग गोआ 5-3 (टाईब्रेकर में), एयर इंडिया विवि डेम्पो 2-1 तथा सालगाँवकर विवि जेसीटी 1-0
* मैन ऑफ द टूर्नामेंट- गुरुमाँगीसिंह (चर्चिल ब्रदर्स) पुरस्कार 20,000 रु.
* श्रेष्ठ प्रशिक्षक- सेवियो मेडायरा (सालगाँवकर) पुरस्कार 20,000 रु.
* गोल्डन बूट अवॉर्ड- ओडाफे ओकेली (चर्चिल ब्रदर्स) पुरस्कार 20,000 रु.

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