किरण वाईकर
टेबल टेनिस के क्षेत्र में अरूप बसक किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले इस 35 वर्षीय खिलाड़ी का करियर अब ढलान पर है और वे दो वर्षों तक खेल को अलविदा कहने पर विचार कर रहे हैं।
पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन बसक रविवार से अभय प्रशाल में प्रारंभ हुई 69वीं राष्ट्रीय जूनियर तथा यूथ टेबल टेनिस चैंपियनशिप के लिए प. बंगाल टेबल टेनिस एसोसिएशन की तरफ से पर्यवेक्षक के रूप में इंदौर आए हैं।
बसक ने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूँ टेबल टेनिस की वजह से हूँ। इस खेल की वजह से मुझे नाम, पैसा और शोहरत मिली और अब मैं देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ। भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) किसी भी स्तर और रूप में मेरी सेवाएँ लेना चाहे तो मैं तैयार हूँ।
मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे जयंत पुशीलाल जैसे कोच का मार्गदर्शन मिला। कोलकाता यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट में जब भी समय मिलता है जूनियर खिलाड़ियों के खेल को सुधारने में मदद करता हूँ। वैसे मुझे कोचिंग के क्षेत्र में जाने से पहले प्रशिक्षण देने के बारे में काफी कुछ सीखना होगा।
जब हम खेलते थे तब हमें ज्यादा सुविधाएँ और विदेशों में खेलने के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते थे, लेकिन अब टीटीएफआई के जरिए खिलाड़ी को हरसंभव श्रेष्ठ सुविधाएँ मिल रही हैं और खिलाड़ियों को विदेश में खेलने तथा प्रशिक्षण लेने के ढेरों मौके।
पिछले वर्ष हमने राष्ट्रकुल खेलों में स्वर्णिम सफलता हासिल की और मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूँ कि ऐसा ही चलता रहा तो अगले 8-10 वर्षों में भारत इस खेल में महाशक्ति बनकर उभरेगा।
मध्यप्रदेश के खिलाड़ी भाग्यशाली हैं कि उनके पास अभ्यास करने के लिए अभय प्रशाल जैसा अंतरराष्ट्रीय स्तर का हॉल उपलब्ध है। मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों को इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए क्योंकि देश में इस तरह की सुविधा 1-2 स्थानों पर ही मौजूद है।
बढ़ती उम्र तथा दाएँ कंधे की चोट की वजह से उनका प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है इसलिए वे डेढ-दो वर्ष बाद संन्यास लेने की सोच रहे हैं। चूँकि टेबल टेनिस ही उनका जीवन है इसलिए वे इसके बाद भी किसी न किसी रूप से इस खेल से जुड़े रहेंगे और मौका मिला तो वे प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी भाग्य आजमाकर युवा प्रतिभाओं को तराशेंगे।