भारतीय फुटबॉल के सीमित दायरे में बाइचुंग भूटिया का वही स्थान माना जा सकता है जो इंग्लिश फुटबॉल में बैकहम और रूनी, फ्रांस में थियरे हेनरी तथा पुर्तगाल में क्रिस्टियानो रोनाल्डो का है।
अभी-अभी भारत को ओएनजीसी नेहरू स्वर्ण कप स्पर्धा में सफलता भूटिया के नेतृत्व में ही मिली है।
भूटिया किसी क्लब का प्रतिनिधित्व कर रहे हों अथवा भारत का उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। मैदान पर उनकी मौजूदगी उनकी टीम के लिए भरोसेमंद रहती है।
भूटिया भारतीय फुटबॉल के वर्तमान स्तर से, अन्य किसी भी फुटबॉल प्रेमी के समान, खुश नहीं हैं क्योंकि उनका मानना है कि न तो भारतीय फुटबॉल संघ और न ही फुटबॉल क्लब विदेशी कोच की क्षमता का पूर्ण दोहन करने में रुचि लेते हैं। वर्तमान में कोच हॉटन हमें कोचिंज के अलावा अपने फुटबॉल ज्ञान से भी बहुत लाभान्वित कर सकते हैं किंतु चाहता कौन है।
वर्तमान में औद्योगिक घराने अपने क्लब बनाने में जुटे हुए हैं जबकि उन्हें पहले से स्थापित क्लबों को बेहतर बनाने में रुचि लेना चाहिए। सिर्फ पैसा लगा देने से कुछ नहीं होता क्योंकि जिन हाथों में यह पैसा जाता है वे फुटबॉल को बेहतर बनाने के लिए कुछ भी तो नहीं जानते।
किसी भी टीम को और अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा ढेरों मैदानी समर्थकों के द्वारा उत्साहवर्धन करने से मिलती है पर अपवादों को छोड़ भारत में यह भी तो संभव नहीं।
सिक्किम के इस खिलाड़ी का पहला प्यार फुटबॉल है शायद दूसरा भी, तीसरा भी पर वे यह भी मानते हैं कि खिलाड़ियों को आराम करने का अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपने खेल के साथ शत-प्रतिशत न्याय कर सकें, क्योंकि एक फुटबॉल सत्र में प्रतियोगिताएँ इतनी अधिक रहती हैं कि खिलाड़ी आज यहाँ तो कल वहाँ मँडराता ही रहता है। और फिर 120 मिनट का खेल खिलाड़ी को थकाता तो है ही, कभी-कभी घायल भी करता है, खेल तो प्रभावित होगा ही।
नेहरू कप में रिकॉर्ड पाँच गोल करने वाले इस खिलाड़ी का फुटबॉल करियर चमकीला भी रहा तो कभी चोटों ने उस चमक को धूमिल भी किया। वैसे उनके करियर के आँकड़े बताते हैं कि उनकी उपलब्धियाँ अपनी सीमितता के बावजूद काबिले-तारीफ रही हैं।
भूटिया के करियर की विशिष्टताएँ : फुटबॉल के धुरंधर खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया ने भारत का प्रतिनिधित्व 61 बार किया। एनएफएल के शुरुआती दौर (1996-97) में 14 गोल किए, एक मैच में सर्वाधिक पाँच गोल किए जेसीटी की ओर से महिंद्रा के खिलाफ (1996-97)। जेसीटी ने यह मैच 6-1 से जीता था। वे 2005-06 में प्लेयर ऑफ द एनएफ लीग (नेशनल फुटबॉल लीग) बने।
फेडरेशन कप में सर्वाधिक छः गोल (1995), पाँच गोल (1996) तथा चार गोल बनाकर 2006 में भूटिया बने गोल्डन बूट विजेता। कलकत्ता फुटबॉल लीग में 1994 में भूटिया सर्वाधिक 19 गोल करने वाले खिलाड़ी बने।
एलजी एशियन क्लब कप 2003 में सर्वाधिक 9 गोल करके भूटिया ने 'गोल्डन बूट' प्राप्त किया और कलकत्ता डरबी में सर्वाधिक 14 गोल (ईस्ट बंगाल 13, मोहन बागान 1) का रिकॉर्ड बनाया।
भूटिया द्वारा बनाए गए गोल : भारत की ओर से 28, ईस्ट बंगाल और बंगाल की ओर से क्रमशः 146 व 12, जेसीटी 25, मोहन बागान 25 व सिक्किम ब्ल्यूज 1 गोल।
मुख्य प्रतियोगिताओं में- नेशनल फुटबॉल लीग (72 गोल), फेडरेशन कप (22, एशियन क्लब कप (11), आईएफए शील्ड (9), एशियन कप विनर्स कप (7), एएफसी चैंपियन लीग (4), एएफसी कप (4), डूरंड कप (4), तथा रोबर्स कप 1 गोल।