क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर एक शानदार पारी खेलकर स्कोर बोर्ड पर टंगे रनों को देखना हर खिलाड़ी का ख्वाब होता है। बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि क्रिकेट जगत में सर्वप्रथम 'स्कोर बोर्ड' का प्रयोग लॉर्ड्स के मैदान पर ही हुआ था।
यह बात सन् 1846 की है, जब लॉर्ड्स के मैदान पर दर्शकों और खिलाड़ियों की सुविधा के लिए मैदान के बाहर स्कोर बोर्ड लगाया गया। लॉर्ड्स पर 'स्कोर बोर्ड' की सफलता के बाद अन्य स्थानों पर भी स्कोर बोर्ड लगाने की शुरुआत हुई।
सफेद गेंद ही प्रयुक्त की जाती थी - आज की पीढ़ी को यह भ्रम तोड़ देना चाहिए कि दूधिया रोशनी में प्रयुक्त की जाने वाली सफेद गेंद आधुनिक क्रिकेट की ही देन है। चौंका देने वाला तथ्य तो यह है कि सन् 1843 से पूर्व के सभी क्रिकेट मैच सफेद गेंद से ही खेले जाते थे। सन् 1883 से ही लाल गेंदों का प्रयोग प्रारंभ हुआ, जो आज तक बरकरार है। अब सफेद गेंदों का उपयोग केवल दिन-रात के मैचों में ही किया जाता है।
क्रिकेट का पहला अंतरराष्ट्रीय मैच - यह विषय अकसर बहस का बन जाता है कि क्रिकेट का पहला अंतरराष्ट्रीय मैच कब खेला गया ? अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के पास भले ही अधिकृत तिथि हो, लेकिन यह भी सच है कि 156 साल पहले दो गुमनाम क्रिकेट टीमें आमने-सामने थीं। सन् 1844 में न्यूयॉर्क में अमेरिका और कनाडा की टीमों के मध्य पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला गया, जिसमें कनाडा की टीम 23 रनों से विजयी रही।
क्रिकेट में टॉस की प्रथा - आधुनिक क्रिकेट में सिक्के की उछाल (टॉस) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सन् 1774 से पहले क्रिकेट मैच आपसी सहमति से प्रारंभ हो जाया करते थे, लेकिन सन् 1810 से मैचों में टॉस की परम्परा शुरू हुई, जो आज तक जारी है।
मैदान में सीमा का निर्धारण - विश्व के क्रिकेट मैदानों की अलग-अलग सीमाएँ निर्धारित हैं। कहीं मैदानों की सीमा रेखा काफी बड़ी है, तो किसी मैदान की काफी छोटी। इनका खेल पर कोई असर नहीं होता।
सबसे बड़ी सीमा रेखा एमसीजी (मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड) की 90 यार्ड की है। क्रिकेट इतिहास की पृष्ठभूमि में जाएँ तो पता चलता है कि मैदानों की सीमा रेखा कितनी हो इसके निर्धारण की शुरुआत 21 अप्रैल 1884 से प्रारंभ हुई।