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दुनिया में सबसे लोकप्रिय खेल है फुटबॉल

(3 सितंबर पर फुटबॉल दिवस पर विशेष)

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दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है फुटबॉल। इसका अंदाजा फीफा के 208 सदस्य देशों की संख्या को देखकर ही लगाया जा सकता है और भारत के तथाकथित लोकप्रिय राष्ट्रीय खेल क्रिकेट से अगर इसकी तुलना की जाए तो यह खेल सॉकर से काफी पीछे है क्योंकि आईसीसी में पूर्ण सदस्य देश गिनती केवल 10 ही है।

प्रत्येक चार साल बाद फीफा द्वारा आयोजित फुटबॉल विश्व कप में 'फुटबॉल फीवर' को देखा जा सकता है, जिसमें इन सदस्य देशों से 32 देश हिस्सा लेते हैं। वहीं क्रिकेट का बुखार केवल 10 देशों के बीच तक ही सीमित रहता है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया का दबदबा बरकरार रहता है।

पेले माराडोना रोनाल्डो रोनाल्डिन्हो और डेविड बेकहम जैसे स्टार फुटबॉलरों का दुनिया में बोलबाला है वहीं क्रिकेट के कुछ सितारों को छोड़कर शायद ही क्रिकेटरों के नाम जानते हों।

अगर भारत की बात की जाये तो यहाँ कोलकाता को पहले फुटबॉल का मक्का कहा जाता था लेकिन अब यह खेल केरल और गोवा में अपने पैर पसारने लगा है। कोलकाता के मशहूर क्लब ईस्ट बंगाल और मोहन बागान ने शुरू से ही अपनी पैठ जमाई हुई है और यहाँ फुटबॉल की लोकप्रियता का अंदाजा स्टेडियम में बैठे दर्शकों से लगाया जा सकता है।

लेकिन अगर पूरे देश में लोकप्रियता का ग्राफ देखा जाए तो फुटबॉल इसमें क्रिकेट से ही पीछे ही रहेगा, जिसका मुख्य कारण है फुटबॉल के विकास के लिए सुविधाएँ और बुनियादी ढाँचों की कमी होना।

क्रिकेट का बुखार तो भारत के हर कोने में फैला है और इसके स्टार खिलाड़ियों सचिन तेंडुलकर, महेंद्रसिंह धोनी, युवराजसिंह और सौरव गांगुली के सामने फुटबॉल के कप्तान बाईचुंग भूटिया और सुनील छेत्री को रखा जए तो क्रिकेटरों की लोकप्रियता प्रतिशत काफी ऊँचा होगा।

इस बार का फुटबॉल दिवस हालाँकि भारतीय टीम के लिए विशेष होगा। भारतीय टीम ने हाल में एफसी चैलेंज कप जीतकर 24 साल बाद 2011 में दोहा में होने वाले एशिया कप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। राष्ट्रीय कोच बॉब हॉटन की अगुवाई में टीम ने पिछले साल नेहरू कप में खिताब से जीत का सिलसिला शुरू किया और इसे बरकरार रखने की कोशिश की।

फुटबॉल जनमानस का खेल हैं इसलिए इसे 'किंग ऑफ द व्होल वर्ल्ड' भी कहा जाता है क्योंकि इसमें 90 मिनट में लोगों का भरपूर मनोरंजन होता है। हालाँकि पिछले चार दशक में इसमें काफी बदलाव देखने को मिले हैं जैसे पहले फाउल देने के नियम कुछ और हुआ करते थे और अब पीछे से पकड़ने भर से फाउल मान लिया जाता है।

पहले फुटबॉल मैच 70 मिनट का होता था और अब यह 90 मिनट का होता है, लेकिन अगर अतिरिक्त समय में पहुँच जाये तो यह 120 मिनट का भी हो जाता है। इसलिए खिलाड़ियों का फिट होना बहुत जरूरी है क्योंकि जो खिलाड़ी फिटनेस में सुपरफिट होगा, वही 120 मिनट तक मैदान में धमाल दिखा सकेगा।

अगर भारतीय फुटबॉल के इतिहास को देखा जए तो 1950 और 60 के दशक में भारत का विश्व फुटबॉल में अपना मुकाम था और उन्हें 1950 विश्व कप में खेलने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन खिलाड़ियों के नंगे पैर से खेलने के कारण टीम इसमें अपनी प्रतिभा नहीं दिखा सकी थी।

लेकिन भारतीय टीम ने 1956 मेलबोर्न ओलिम्पिक में हिस्सा लिया था और वह चौथे स्थान पर रही थी। वहीं 1951 नई दिल्ली एशियाई खेलों और 1962 जकार्ता एशियाई खेलों में उसने स्वर्ण पदक जीता था। फिर भारतीय टीम को हालाँकि खुश होने का कोई मौका नहीं मिला और उसके उतार चढ़ाव का सिलसिले में पिछले साल ही सुधार दिखाई दिया।

नेहरू कप की जीत के बाद दर्शकों में भी अपनी राष्ट्रीय टीम से उम्मीदें बँधनी लगीं हैं और भूटिया की टीम ने इस पर खरा उतरते हुए दोहा में होने वाले 2011 एशिया कप के लिए क्वालीफाई भी किया। इस बार भारतीय फुटबॉल टीम के लिए यह फुटबॉल दिवस सचमुच काफी खास होगा। (भाषा)

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