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दोषियों को सजा ही देगी चैन-मोनिका

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गुवाहाटी (वार्ता) , बुधवार, 3 सितम्बर 2008 (23:23 IST)
डोपिंग आरोपों के कारण बीजिंग ओलिम्पिक खेलों में हिस्सा लेने से वंचित रह गईं महिला भारोत्तोलक मोनिका देवी ने बुधवार को कहा उन्हें झूठे आरोप में फँसाने वाले खेल अधिकारियों को सजा मिलने पर ही उनके दिल को चैन मिलेगा।

मोनिका ने यहाँ खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुझे जानबूझकर डोपिंग मामले में फँसाया, क्योंकि वे मुझे ओलिम्पिक में हिस्सा लेते हुए नहीं देखना चाहते थे। इससे पहले मैं कम से कम 30 बार डोपिंग टेस्ट पास कर चुकी थी।

आखिर बीजिंग के लिए विमान पकड़ने के चंद घंटे पहले ही मुझे डोप टेस्ट में नाकाम कैसे घोषित कर दिया। गौरतलब है कि मोनिका डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीजिंग ओलिम्पिक में हिस्सा नहीं ले पाईं।

उन्होंने उसी समय खुद को बेकसूर बताते हुए आवाज बुलंद की, जिसके बाद खेल मंत्रालय ने इस पूरे प्रकरण की जाँच के लिए एक समिति गठित कर दी। बाद में मोनिका को डोपिंग आरोप से बरी भी कर दिया गया था।

उन्होंने कहा इस स्थिति के लिए उनकी साथी खिलाड़ी शैलजा और साई के कार्यकारी निदेशक (टीम) आरके नायडू तथा कोच हंसा शर्मा जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा ये सभी चोर हैं। मैंने साई अधिकारियों और कोच से दूर रहने का फैसला किया था, लेकिन वे लोग मेरे पीछे पड़ गये हैं। ओलिम्पिक में उनके न जाने से देश को एक काँस्य पदक से वंचित होना पड़ा है।

उन्होंने कहा काँस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी ने जितना वजन उठाया था, उतना तो मैं सामान्य ट्रेनिंग में भी उठा लेती हूँ। उन्होंने ओलिम्पिक के पहले हुए ट्रायल के दौरान शैलजा पर प्रतिबंधित दवा के सेवन का आरोप भी लगाया।

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