Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

फुटबॉल नहीं, चलता है 'दादा' का जादू

Advertiesment
हमें फॉलो करें फुटबॉल नहीं, चलता है 'दादा' का जादू
कोलकाता (भाषा) , रविवार, 24 फ़रवरी 2008 (20:39 IST)
कोलकाता के दो मशूहर क्लब ईस्ट बंगाल और मोहन बागान पिछले तीन साल से राष्ट्रीय फुटबॉल लीग (अब आई लीग) का खिताब अपने नाम नहीं कर पए हैं। राष्ट्रीय टीम में बंगाली खिलाड़ियों की संख्या में विशेषकर पिछले दो सत्रों में भी कमी देखी जा रही है।

नईमुद्दीन हैदराबाद से बंगाल आए और वह 1960 के दशक के सबसे प्रतिभाशली डिफेंडर थे। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बंगाल में गाँव और शहरों के बच्चे पहले फुटबॉल खेलते हुए बड़े होते थे, लेकिन अब हर जगह वे सिर्फ क्रिकेट ही खेलते हैं।

वहीं डिफेंडर और कोच सुब्रत भट्टाचार्य ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले राष्ट्रीय टीम में काफी संख्या में स्थानीय खिलाड़ी होते थे। 1970 और 1990 का दशक स्वर्णिम युग था। कोलकाता से जुड़े शहरों से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की भीड़ से राष्ट्रीय टीम बंगाल एकादश की तरह दिखती थी।

भट्टाचार्य ने कहा 1970, 1980 और 1990 का दशक काफी भिन्न था। जिंदगी सरल थी। पार्क नुक्कड़ और चौराहों पर युवा खिलाड़ियों का फुटबॉल खेलना जरूरी था।

वर्ष 1974 तेहरान एशियाई खेलों में 18 में से 11 फुटबॉलर बंगाल के थे। 1982 में दिल्ली एशियाड में 10 बंगाली खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम के लिए बुलाया गया। इसमें भारत फाइनल्स में पहुँचने में सफल रहा था लेकिन सऊदी अरब ने अंतिम क्षणों में किए गए गोल से उसे मात दी थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi