मैरीकॉम विश्व मुक्केबाजी के फाइनल में
ब्रिजटाउन , शनिवार, 18 सितम्बर 2010 (18:58 IST)
भारतीय मुक्केबाजी की 'आयरन लेडी' एमसी मैरीकॉम ने अपने जबरदस्त पंचों और हुकों का सिलसिला जारी रखते हुए महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश कर लिया है जबकि एक अन्य भारतीय मुक्केबाज कविता को सेमीफाइनल में हारने के कारण काँस्य पदक से संतोष करना पड़ा।राष्ट्रमंडल खेलों की ब्रांड एम्बेसडर मैरीकॉम ने इस प्रतियोगिता में अपना वजन वर्ग बदला था और वह पहली बार 48 किलोग्राम वर्ग में उतरी थीं। लेकिन वजन वर्ग बदलना मैरीकॉम के रास्ते में कोई बाधा साबित नहीं हुआ और उन्होंने फिलीपींस की एलिस केट अपारी को 8-1 से रौंदते हुए फाइनल में प्रवेश करने के साथ अपने लिए कम से कम रजत पदक सुनिश्चित कर लिया।चार बार की विश्व चैंपियन और राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता मैरीकॉम ने अपने पिछले चार खिताब 46 किलोग्राम वर्ग में जीते थे। मैरीकॉम का फाइनल में रोमानिया की अपनी पुरानी प्रतिद्वंद्वी स्टेलूटा डूटा के साथ मुकाबला होगा जिन्होंने अन्य सेमीफाइनल में कजाकिस्तान की नजगुल बोरानबायेवा को 10-5 से शिकस्त दी।हालाँकि भारत की कविता को 81 किलोग्राम से अधिक के वर्ग में काँस्य पदक से संतोष करना पड़ा। कविता को सेमीफाइनल में यूक्रेन की केटरीना कुझैल ने 14-2 के बड़े अंतर से पराजित किया।वर्ष 2012 के लंदन ओलिम्पिक में पहली बार महिला मुक्केबाजी को शामिल किए जाने के बाद से अभी से भारत की पदक उम्मीद बन गई मैरीकॉम ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि मैं एक बार फिर फाइनल में पहुँच गई हूँ। मैं इस बार भी स्वर्ण पदक जीतने के लिए अपना पूरा जोर लगा दूँगी। लेकिन फिलहाल मैं इतनी ऊँची उड़ान उड़ने के बजाए केवल अपने खेल पर फोकस कर रही हूँ। यदि मैं अच्छा लडूँगी तो मैं निश्चित रूप से जीत जाऊँगी।दो बच्चों की माँ 27 वर्षीय मैरीकॉम का यह छठा विश्वकप है। पहली बार उन्होंने रजत पदक जीता था और उसके बाद लगातार चार स्वर्ण पदक जीते थे। शुक्रवार को हुए सेमीफाइनल में मणिपुर की मुक्केबाज की धीमी शुरुआत रही थी और वह पहले राउंड में 0-1 से पिछड़ गई थीं।भारतीय मुक्केबाज को दूसरे राउंड में पहला अंक मिला और फिर उन्होंने तीसरे राउंड में आक्रामक खेल का प्रदर्शन करते हुए लगातार पाँच अंक जुटाए। मैरीकॉम ने कदमों का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए विपक्षी मुक्केबाज को पिछले पाँव पर रखा और लगातार आक्रामक तेवरों से उसे अंक जुटाने का कोई मौका नहीं दिया। मैरीकॉम ने आखिरी राउंड में दो अंक जुटाए और मुकाबला 8-1 से जीतकर खिताबी मुकाबले में प्रवेश कर लिया।मैरीकॉम ने कहा कि मैं पहले राउंड में अपारी पर ज्यादा प्रहार नहीं कर सकी और इस दौरान मैंने उसके खेल का पूरा जायजा लिया। इसके बाद अगले तीन राउंड में मैंने आक्रमण पर अपना सब कुछ झोंक दिया। मैं यह नहीं कहूँगी कि यह आसान मुकाबला था, लेकिन यह कोई बहुत मुश्किल मुकाबला भी नहीं था। मुझे खुद पर पूरा विश्वास था और इस विश्वास से मुझे मदद मिली। मैरीकोम का अपारी से आखिरी बार 2004 में मुकाबला हुआ था और तब भी भारतीय मुक्केबाज विजयी रही थी। मैरीकॉम ने इस तरह अपारी के खिलाफ अपना अपराजेय रिकॉर्ड बरकरार रखा।फाइनल की अपनी प्रतिद्वंद्वी डूटा को मैरीकोम 2006 में दिल्ली में और 2008 में चीन की निंगबो सिटी में हुई विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में हरा चुकी हैं। लेकिन इसके बावजूद मैरीकॉम उन्हें कतई हल्के से लेने के मूड में नहीं हैं।मैरीकॉम ने कहा कि मैं कभी अपनी प्रतिद्वंद्वी को हल्के से नहीं लेती क्योंकि अपने दिन कोई भी खतरनाक हो सकती है। मैं उसे दो बार हरा चुकी हूँ जिससे मुझे आत्मविश्वास मिलता है, लेकिन अभी से ही यह कहना ठीक नहीं होगा कि फाइनल आसान होगा या मुश्किल।पाँचवें विश्व खिताब से एक कदम दूर मैरीकॉम ने कहा कि मैं केवल इतना कह सकती हूँ कि मैं विश्वास से भरी हुई हूँ और मैं स्वर्ण पदक जीतने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूँगी। मैं जानती हूँ कि यह ऐतिहासिक मौका होगा, लेकिन मैं इन सब चीजों के बारे में सोचकर खुद पर दबाव नहीं बनाना चाहती हूँ। (वार्ता)