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सोमदेव-सनम को स्वर्ण

सानिया और विष्णु रजत से संतुष्ट

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हमें फॉलो करें सोमदेव देववर्मन सनम सिंह टेनिस एशियाई खेल स्वर्ण पदक
ग्वांग्झू , सोमवार, 22 नवंबर 2010 (18:23 IST)
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भारतीय टेनिस के नंबर एक सितारे सोमदेव देववर्मन ने सनम सिंह के साथ सोमवार को 16वें एशियाई खेलों के पुरुष युगल मुकाबले का स्वर्ण पदक जीतकर देश को इन खेलों का छठा स्वर्ण दिला दिया।

भारतीय जोड़ी ने चीन के गोंग माओजिन और ली झेई की जोड़ी को कड़े संघर्ष में 6-3, 6-7, 10-8 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। सोमदेव अब इन खेलों में दोहरे स्वर्ण की दहलीज पर पहुँच गए हैं। पुरुष युगल में उन्होंने स्वर्ण जीत लिया है जबकि पुरुष एकल के फाइनल में भी जगह बना ली है।

भारत की सानिया मिर्जा और विष्णु वर्द्धन की जोड़ी को हालाँकि मिश्रित युगल के फाइनल में पराजित होकर रजत पदक से संतोष करना पडा। भारतीय जोड़ी को चान युंग जान और यांग सुंग हुआ की जोड़ी से 6-4, 1-6, 2-10 से पराजय झेलनी पड़ी।

इससे पहले देश के नंबर एक खिलाड़ी सोमदेव ने जापान के इतो तत्सुमा को कांटे के मुकाबले में 6-2 0-6 6-3 से हराकर फाइनल में जगह बना ली और इसके साथ ही वह एशियाई खेलों में पुरुष एकल वर्ग में पहुँचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए।

दूसरी वरीयता प्राप्त सोमदेव ने पहला सेट जीतकर बढ़त बनाई लेकिन दूसरे सेट में वह एक भी गेम नहीं जीत सके1 हालांकि निर्णायक सेट में उन्होंने अपने खेल का स्तर ऊँचा करते भारत के लिए रजत पक्का कर लिया, जो एशियाई खेलों के इतिहास में भारत का टेनिस में पहला रजत पदक होगा।

देश की शीर्ष महिला खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने पिछले दोहा एशियाई खेलों में महिला एकल वर्ग में रजत पदक जीता था लेकिन पुरुष एकल में इससे पहले कोई भी भारतीय खिलाड़ी फाइनल में नहीं पहुंच पाया था।

फाइनल में सोमदेव का मुकाबला शीर्ष वरीय उज्बेकिस्तान के डेनिस इस्तोमिन से होगा जिन्होंने जापान के गो सोइदा को 6-1, 6-0 से हराकर फाइनल की राह पकड़ी।

भारत ने एशियाई खेलों में टेनिस की पुरुष एकल स्पर्द्धा में अब तक तीन कांस्य पदक जीते हैं। लिएंडर पेस ने वर्ष 1994 में हिरोशिमा खेलों में देश के लिए कांस्य पदक जीता था जबकि महेश भूपति और प्रहलाद श्रीनाथ ने 1988 में बैंकाक एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीते थे।

विश्व रैंकिंग में 106वें स्थान पर काबिज सोमदेव को एटीपी सर्किट में 195वां स्थान रखने वाले जापानी प्रतिद्वंद्वी ने लगभग दो घंटे तक कोर्ट पर पसीना बहाने के लिए मजबूर कर दिया।

राष्ट्रमंडल खेलो के स्वर्ण विजेता सोमदेव ने अच्छी शुरुआत की और अपनी शानदार सर्विस के बल पर पहला सेट 6-2 से अपने नाम कर लिया, लेकिन चौथी वरीयता प्राप्त जापानी खिलाड़ी ने अगले सेट में आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया और सोमदेव को एक भी गेम हासिल नहीं करने दिया।

इतो ने यह सेट 6-0 से जीतकर 1-1 से बराबरी कर ली1 इस समय परिस्थितियाँ पूरी तरह सोमदेव के विपरीत थी क्योंकि मोमेंटम जापानी खिलाड़ी के साथ था। निर्णायक सेट में पहले चार गेम में दोनों खिलाड़ियों ने एकदूसरे की सर्विस तोड़ी।

लेकिन पाँचवें गेम में सोमदेव दो ब्रेक बचाते हुए अपनी सर्विस बरकरार रखने में सफल रहे और यही मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इसके बाद तो भारतीय खिलाड़ी ने मुडकर नहीं देखा। छठे गेम में उन्होंने इतो की सर्विस तोड़ते हुए अपनी बढ़त को 4-2 कर दिया और फिर 6-3 से सेट अपने नाम करते हुए फाइनल का टिकट कटा लिया। (वार्ता)

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