भोपाल: भारत के राइफल शूटर ऐश्वरी प्रताप सिंह तोमर ने शनिवार को आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप के पुरुष 50 मीटर राइफल 3 पोज़ीशन इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया।तोमर ने हंगरी के ज़लन पेकलर को 16-12 से हराकर पोडियम पर शीर्ष पायदान हासिल किया। इससे पहले वह क्वालिफिकेशन में भी 593 पॉइंट के साथ पहले स्थान पर रहे थे।
21 वर्षीय तोमर ने रैंकिंग स्टेज में 409.8 पॉइंट प्राप्त किये, जबकि हंगरी के पेलकर 406.7 पॉइंट के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
दक्षिण कोरिया के चांगवन में आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशंस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर के मन में बंदूकों को लेकर बचपन से ही आकर्षण रहा है।
विश्व कप में ऐश्वर्य की सुनहरी कामयाबी से गदगद उनके पिता वीरबहादुर सिंह तोमर (59) ने अपने बेटे से जुड़ी ये यादें रविवार को से साझा कीं। तोक्यो ओलिंपिक में भारत की नुमाइंदगी कर चुके ऐश्वर्य मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के महज 800 की आबादी वाले रतनपुर गांव के रहने वाले हैं। उन्हें घर में प्यार से 'प्रिंस' पुकारा जाता है।
राजपूत परिवार होने के कारण बचपन में ही पकड़ ली बंदूक
इंदौर से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित गांव में खेती-किसानी करने वाले तोमर ने बताया, प्रिंस (ऐश्वर्य) बचपन में गांव के मेले में जब भी जाता था, तो उसकी सबसे ज्यादा दिलचस्पी छर्रे की बंदूक से गुब्बारे फोड़ने में रहती थी। वह इस बंदूक से गुब्बारों पर निशाना साधकर बहुत खुश होता था। तोमर ने बताया कि वह राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उनके कुनबे में रायफल व बंदूक जैसे लाइसेंसी हथियार पारंपरिक रूप से रखे जाते हैं, लिहाजा ऐश्वर्य ने ये हथियार बचपन से ही देख रखे थे।
करते हैं भोपाल में ट्रेनिंग
ऐश्वर्य ने निशानेबाजी के गुर सीखने के बारे में तब मन बनाया, जब उनके भांजे नवदीप सिंह राठौड़ भोपाल में राज्य सरकार की निशानेबाजी अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे थे। तोमर ने बताया,वैसे भी प्रिंस (ऐश्वर्य) का मन पढ़ाई-लिखाई में कम ही लगता था। इसलिए हमने उसे 14 साल की उम्र में भोपाल की निशानेबाजी अकादमी भेजा था। लेकिन पहले प्रयास में प्रशिक्षण के लिए उसका चयन नहीं हो सका था।
लगातार चढ़ते गया सफलता की सीढ़ी
निशानेबाजी को लेकर जुनूनी ऐश्वर्य को अगले साल फिर भोपाल की अकादमी भेजा गया और उसे 15 साल की उम्र में प्रशिक्षण के लिए चुन लिया गया। तोमर ने बताया कि इस चयन के बाद उनके बेटे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह राज्य से लेकर विश्व स्तर तक सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है।