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एशियाई खेलों में दशकों के बाद भारत को मिले हैं इन खेलों में पदक

हमें फॉलो करें एशियाई खेलों में दशकों के बाद भारत को मिले हैं इन खेलों में पदक
, सोमवार, 27 अगस्त 2018 (16:10 IST)
भारत में कुछ वर्षों पहले की बात की जाए तो लोगों की जुबान पर क्रिकेट का ही नाम आता था, लेकिन साइना, सानिया, पीवी सिंधू, दीपिका पल्लीकल, विजेन्दर जैसे खिलाड़ियों ने अपने खेल के दम पर दुनिया में नाम कमाया साथ ही खेलों को भारतीयों के बीच लोकप्रिय भी बनाया।
 
 
इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबंग में चल रहे एशियाई खेल 2018 में कई भारतीय युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से न सिर्फ मेडल जीते बल्कि भारतीय खेल प्रशंसकों के बीच भी नाम कमाया है। कहीं न कहीं खेल संगठनों की उदासीनता भी ‍इन खिलाड़ियों के मनोबल पर असर डालती है।
 
भारत में किन खेलों में जीते पदक:
फवाद मिर्जा ने घुड़सवारी में दिलाया रजत पदक : फवाद मिर्जा ने रविवार को यहां सिल्वर मेडल जीतकर एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता में पिछले 36 वर्षों से व्यक्तिगत पदक पाने वाले पहले भारतीय भारतीय बनने का गौरव हासिल किया, जबकि उनके प्रयासों से टीम भी दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रही। 
 
भारत ने इससे पहले एशियाई खेलों की घुड़सवारी में तीन गोल्ड सहित दस मेडल जीते हैं, लेकिन इस खेल में भारत की तरफ से आखिरी बार व्यक्तिगत पदक 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों में जीते गए थे। तब रघुवीरसिंह ने गोल्ड मेडल जीता था जबकि भारत के गुलाम मोहम्मद खान ने सिल्वर और प्रहलादसिंह ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था।
 
इन खेलों के प्रति संगठन कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय टीम को रवाना होने से केवल एक दिन पहले मान्यता कार्ड मिले थे। ऐसा भारतीय घुड़सवारी महासंघ की अंदरूनी कलह के कारण हुआ था क्योंकि ईएफआई ने चयन को अमान्य घोषित कर दिया था।
 
साइना ने बैडमिंटन में दिलाया कांस्य पदक : भारत की साइना नेहवाल को बैडमिंटन स्पर्धा के महिला एकल सेमीफाइनल कांस्य पदक जीतकर 36 साल बाद एशियन गेम्स में किसी भारतीय खिलाड़ी ने बैडमिंटन में कोई पदक जीता है। आखिरी बार 1982 में सैयद मोदी ने कांस्य पदक जीता था। इससे पहले कभी किसी शटलर ने महिला एकल में मेडल नहीं जीता था।
 
हाल के वर्षों में साइना, पीवी सिंधु और एचएस प्रणय, गुरुसाई दत्त जैसे खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से दुनिया में नाम कमाया है, साथ ही ये भारतीय खिलाड़ियों के चहेते भी बने हैं। हाल ही आईपीएल लीग की तरह भारतीय बैडमिंटन लीग की शुरुआत की गई, इसका फायदा भी इन उभरते सितारों को मिला। पुलेला गोपीचंद ने इन हीरों को तराशा जिससे ये अपनी चमक‍ बिखरने में कामयाब हुए।  
 
दुती चंद ने महिला 100 मी दौड़ में दिलाया रजत : भारत की स्टार फर्राटा धाविका दुती चंद ने महिला 100 मीटर दौड़ का रजत पदक जीता जो देश का इन खेलों में 20 साल में पहला पदक है। सातवें नंबर की लेन में दौड़ रहीं दुती ने 11 .32 सेकंड का समय लिया जो 11.29 सेकंड के उनके राष्ट्रीय रिकॉर्ड से मामूली रूप से कम है। 1986 में पीटी उषा ने भारत के लिए इस इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था। 
 
1986 के बाद दुती ऐसा करने वाली पहली महिला हैं। आईएएएफ ने 2014 में अपनी हाइपरएंड्रोगेनिजम नीति के तहत दुती को निलंबित कर दिया था। इस वजह से दुती चंद उस साल के राष्ट्रमंडल खेलों के भारतीय दल से बाहर कर दिया गया था। उड़ीसा की 22 साल की दुती ने आईएएएफ के फैसले के खिलाफ खेल पंचाट में अपील दायर की और इस मामले में जीत दर्ज एशियाई खेल में अपना जलवा दिखाया।
 
अनस ने 36 साल बाद दिलाया रजत : पुरुषों की 400 मीटर रेस में मोहम्मद अनस ने 45.69 सेकंड का समय निकाला और फाइनल में रजत पदक जीता। इससे पहले इस इवेंट में 1982 में केके प्रेमचंद्रन ने रजत पदक जीता था।
 
तेजेंदर पाल सिंह तूर ने रचा इतिहास : एशियाई खेलों के इतिहास में तेजेंदर पाल सिंह तूर ने पुरुषों के शॉट पुट स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले, मदन लाल ने 1951 में, प्रदुयमन सिंह ने 1954 और 1958 में, जोगिन्दर सिंह ने 1966 और 1970 में, बहादुर सिंह चौहान ने 1978 और 1982 में तथा बहादुर सिंह सागू ने 2002 के एशियाई खेलों के शॉट पुट स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था।

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