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नए नियमों से अनजान भारतीय पहलवान एशियन कुश्ती में उतरेंगे

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, बुधवार, 21 फ़रवरी 2018 (01:22 IST)
उज्जैन। किर्गिस्तान के शहर बिश्केक में 27 फरवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाली सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय टीम के पहलवान नए नियमों के तहत अपना मुकाबला लड़ेंगे लेकिन मुझे दु:ख है कि उन्हें नए नियमों की जानकारी तक नहीं दी गई है। यह बात अर्जुन अवॉर्डी कृपाशंकर बिश्नोई ने क्षीरसागर कुश्ती एरिना पर नए जिम्नेशियम के उद्घाटन समारोह में कही।
 
 
उन्होंने कहा कि एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेने के पूर्व भारतीय पहलवानों को सीनियर स्तर पर ऐसा कोई मंच प्रदान नहीं किया गया, जहां वे नए नियमों को सीखकर अपने मुकाबले लड़ सकें। भारतीय महिला कुश्ती टीम के कोच रहे बिश्नोई ने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में नए नियमों को लागू करने की जरूरत के बारे में भारतीय कुश्ती संघ को पूर्व में ही कहा था कि आधुनिक कुश्ती में वजन को नियंत्रित करने का महत्व अब बदल गया है। 
 
उन्होंने कहा कि नए नियम के अनुसार पहलवानों का वजन तौलने के तुरंत 2 घंटे बाद कुश्ती मुकाबले में उतरना होगा। कुश्ती मुकाबले पूरे दिन तक जारी रहेंगे, जब तक पहलवान पदक के अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंच जाते परन्तु भारतीय कुश्ती संघ ने उनके सुझाव को आपत्तिजनक बताकर उन्हें ही निलंबित कर दिया था।

 
कार्यक्रम के आयोजक व पूर्व पहलवान गणेश बागड़ी ने इस निलंबन निर्णय को कुश्ती के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह निर्णय कुश्ती की बेहतरी के लिए बहुत बुरा है। उन्होंने नाईजीरिया समेत कई अन्य देशों में 1 जनवरी 2018 से पूर्व ही अपनी घरेलू प्रतियोगिताओ में नए नियमों को लागू करने के काम की प्रसंशा की।
 
बागड़ी ने सिडनी ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नाईजीरिया कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष डैनियल इगाली द्वारा कही बात को दोहराते हुए कहा की यह आवश्यक हो जाता है और कुश्ती के चाहने वालों की जिम्मेदारी भी बनती है कि हम पहलवानों को नए नियमों से खेलने का ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करें। नाईजीरिया ने नए कुश्ती नियमों पर रेफरी, कोच और पहलवानों के लिए संगोष्ठी आयोजित कर अपने पहलवानों, रेफरियों को जागरूक करने का कार्य किया है लेकिन दुःख होता है कि भारत में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।
 
बागड़ी ने बताया की पिछले वर्ष सोशल मीडिया पर खच्चर से भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) की विवादास्पद तुलना पर प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित पूर्व पहलवान और मौजूदा कोच कृपाशंकर बिश्नोई को इस संगठन से निलंबित कर दिया था। साथ ही मामले को संगठन की अनुशासन समिति को भेजने का फैसला किया गया था, जिसे अनुशासन समिति के आगे आज तक पेश नहीं किया गया। 
 
संभवतः भारतीय कुश्ती संघ में बहुत सारे मामले लंबित होने की वजह से नंबर आने का इंतजार किया जा रहा है या कुश्ती खेल के साथ राजनीतिक खेल संघ द्वारा खेला जा रहा है। शायद इसीलिए इस प्रतिभाशाली कोच का मामला अभी तक अनिर्णीत रखा गया है। दोनों ही स्थिति में नुकसान सिर्फ कुश्ती का ही हो रहा है।
 
गणेश ने भारतीय कुश्ती संघ की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने क्यों नहीं किर्गिस्तान एशियाई चैंपियनशिप से पहले भारतीय पहलवानों को नए नियमों की जानकारी देकर उन्हें मुकाबले करने के अवसर प्रदान किए? 
 
सनद रहे कि पिछले साल 2017 के सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भारत ने 1 स्वर्ण, 5 रजत और 3 कांस्य सहित कुल 9 पदक जीते थे। प्रतियोगिता में 8 वजन वर्ग में 96 पदक दांव पर लगे थे। इस वर्ष 27 फरवरी से 4 मार्च तक बिश्केक, किर्गिस्तान में आयोजित सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में नए नियमों के साथ तीनों स्टाईल में 6 अतिरिक्त वजन समूहों को जोड़ा गया है। 
 
इसी के साथ 10 वजन वर्गों में 120 पदक दांव पर लगे है। पिछले साल की तुलना में इस साल 6 अतिरिक्त वजन समूहों के साथ 24 पदक अधिक जोड़े गए हैं। इस तरह, पुराने नियमों से खेलने की अभ्यस्त वाली भारतीय कुश्ती टीम क्या नए नियमों के तहत खेलकर पिछले साल जीते 9 पदक की संख्या में इजाफा कर सकेगी, यह सबसे बड़ा सवाल है।
 

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