प्रदर्शनकारी पहलवान और टोक्यो ओलंपिक में ब्रोंज मेडल जीत चुके बजरंग पुनिया ने एक चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पद्मश्री पुरुस्कार वापस लौटा दिया। उन्होंने पत्र के अंत में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "असम्मातिन पहलवान" लिखकर संबोधित किया था।
गौरतलब है कि कल भारतीय कुश्ती संघ का चुनाव बृजभूषणशरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह जीत गए। प्रदर्शनकारी पहलवान नहीं चाहते थे कि वह चुनाव जीते। इस बात को लेकर बजरंग पुनिया साक्षी मलिक के साथ खेल मंत्री अनुराग ठाकर के पास गए थे कि संजय सिंह को चुनाव ना लड़ने दिया जाए। लेकिन उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया।
कल संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद रियो ओलंपिक मेडल विजेता साक्षी मलिक ने रोते हुए कुश्ती से संन्यास ले लिया।
पूनिया ने एक दिन बाद एक्स पर बयान जारी कर कहा, मैं अपना पद्श्री सम्मान प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरा बयान है। इस पत्र में उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से लेकर उनके करीबी के चुनाव जीतने तक तथा सरकार के एक मंत्री से हुई बातचीत और उनके आश्वासन के बारे में बताया। और अंत में पद्श्री लौटाने की बात कही।
पूनिया ने लिखा, प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस व्यस्तता के बीच आपका ध्यान देश की कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं।
उन्होंने लिखा, आपको पता होगा कि इस साल जनवरी में महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगायो थे। मैं भी उनके आंदोलन में शामिल हो गया था। सरकार ने जब ठोस कार्रवाई की बात की तो आंदोलन रूक गया था।
अपनी निराशा व्यक्त करते हुए इस स्टार पहलवान ने लिखा, लेकिन तीन महीने तक बृजभूषण के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी। हम अप्रैल में फिर सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने लगे ताकि पुलिस कम से कम उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे।
पूनिया ने लिखा, जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल आते आते सात रह गयी। यानी इन तीन महीानों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया।
जब पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और संजय सिंह के चुनाव के विरोध में अपना पत्र सौंपने के लिए संसद पहुंचने की कोशिश की तो दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने उन्हें कर्तव्य पथ पर रोक दिया।
पूनिया को जब दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने रोका तो उन्होंने कहा, नहीं, मेरे पास कोई अनुमति नहीं है। अगर आप इस पत्र को प्रधानमंत्री को सौंप सकते हैं तो ऐसा कर दीजिये क्योंकि मैं अंदर नहीं जा सकता। मैं न तो विरोध कर रहा हूं और न ही आक्रामक हूं।