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ब्रजभूषण सिंह ने 'गुरबत' से निकाला भारतीय कुश्ती महासंघ को

हमें फॉलो करें ब्रजभूषण सिंह ने 'गुरबत' से निकाला भारतीय कुश्ती महासंघ को
, रविवार, 19 नवंबर 2017 (21:43 IST)
- सीमान्त सुवीर
 
ब्रजभूषण सिंह शरण की पहचान उत्तर प्रदेश के गौंडा जिले से पांच बार सांसद रहने से कहीं ज्यादा भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद की वजह से है और ये संयोग ही है कि उन्हीं के कार्यकाल में भारत को ओलंपिक पदक मिले। जिस सख्त तरीके से वे महासंघ को चला रहे हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि 2020 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत के पदकों की संख्या बढ़ेगी। भारतीय कुश्ती महासंघ को कंगाली से निकालकर सम्पन्न बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
 
इंदौर में आयोजित राष्ट्रीय कुश्ती के दौरान लगातार तीन दिनों तक वे अभय प्रशाल में सुबह से देर रात तक मंच पर रहे और वहीं से मैट पर चलने वाली कुश्तियों का मार्गदर्शन करते रहे। भले ही ब्रजभूषण सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी नहीं की लेकिन कुश्ती का शौक बचपन से रहा। 
 
कर्ज लेकर चुकाना पड़ता था ऑफिस का किराया : एक विशेष मुलाकात में उन्होंने बताया कि ऐसा वक्त भी भारतीय कुश्ती महासंघ ने देखा कि जब ऑफिस का किराया 1 लाख 22 हजार रुपए देने के लिए भी पैसा नहीं रहता था और कर्ज लेकर उसे चुकाया जाता था लेकिन आज महासंघ के पास 5 करोड़ का बैंक बैलेंस है। मैंने खुद कुश्ती के उत्थान के लिए 2 करोड़ रुपए दिए।
 
राष्ट्रीय स्पर्धा के आयोजन करने वाले प्रदेश को 10 लाख : शरण ने कहा कि जब राष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा के लिए कोई प्रदेश मेजबानी करता था तो महासंघ उससे आयोजन के लिए 2 लाख रुपए लेता थश लेकिन मेरे आने के बाद अब हम राष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने वाले प्रदेश संगठन को उलटे 10 लाख रुपए का अनुदान देते हैं। यही नहीं राष्ट्रीय स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहलवान को 10 हजार, रजत वाले को 7 और कांस्य वाले को 5 हजार रुपए की पुरस्कार राशि दे रहे हैं।

 
 
ओलंपिक पदक मिलने के बाद भी प्रायोजक नहीं मिला : भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष को इसका अफसोस है कि 4 ओलंपिक पदक देश में आने के बाद भी कुश्ती के लिए न तो कोई बड़ा उद्योग घराना सामने आया है और न ही कोई प्रायोजक मिला है। ब्रजभूषण सिंह की सोच सकारात्मक है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ओलंपिक में हमारे पदकों की संख्या में इजाफा होगा, वैसे-वैसे रही सही समस्याएं भी खत्म होती चली जाएगी।
 
 
भारतीय कुश्ती महासंघ की अकादमी का सपना : एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं खुद शाकाहारी हूं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयारी करने वाले पहलवानों को शाकाहारी होने का कभी दबाव नहीं डालता। यदि वे मांसाहार लेते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। ब्रजभूषण सिंह का सपना है कि भारतीय कुश्ती महासंघ की भी अपनी खुद की कुश्ती अकादमी हो। इराक, ईरान, अमेरिका, इंग्लैंड और रूस के कुश्ती महासंघ सम्पन्न हैं और उनकी स्वयं की कुश्ती अकादमी है।

 
डोपिंग के लिए आजीवन प्रतिबंध और 5 लाख का जुर्माना : कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह ने बताया कि इंदौर में कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया है कि जो भी पहलवान शक्तिवर्धक दवा लेकर डोपिंग में पकड़ा जाता है तो उस पर आजीवन प्रतिबंध के साथ ही 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। हमारे दो पहलवान डोपिंग में पकड़े गए और महासंघ को 30 लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ रहा है।

 
अभय प्रशाल की व्यवस्थाओं से मंत्रमुग्ध : ब्रजभूषण सिंह ने बताया कि गौंडा में हमने पिछली राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया था। पिछली राष्ट्रीय स्पर्धा से कहीं अधिक सुविधाएं यहां अभय प्रशाल में देखने को मिली है। इस विशाल स्टेडियम से मैं मंथमुग्ध हूं। इसके लिए में अभय छजलानी जी का आभार मानता हूं, जिन्होंने इंदौर में पहली बार इतनी बड़ी स्पर्धा के लिए हमें यह स्थान उपलब्ध करवाया। यहां तो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय कुश्ती के आयोजन भी हो सकते हैं।

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