लंदन। देविंदर सिंह कांग विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं जबकि विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स के स्वर्ण पदक विजेता और बड़े उम्मीदवार माने जा रहे नीरज चोपड़ा क्वालीफिकेशन राउंड में ही बाहर हो गए।
देविंदर ने पहले प्रयास में 82.22 मीटर, दूसरे में 82.14 और तीसरे में 84.22 मीटर दूरी तक भाला फेंका और फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहे। वे ओवरऑल 7वें स्थान पर रहे जबकि ग्रुप बी क्वालीफिकेशन राउंड में वे 5वें स्थान पर रहे।
भाला फेंक स्पर्धा में भारत को सबसे ज्यादा उम्मीदें नीरज से ही लगी हुई थीं। लेकिन वे ही सबसे अधिक निराश कर गए। उन्होंने क्वालीफिकेशन राउंड में 82.26 मीटर का अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका जो फाइनल में क्वालीफाई करने के लिए काफी नहीं था। नीरज ग्रुप ये क्वालीफिकेशन में 7वें और ओवरऑल 15वें स्थान पर रहे।
हरियाणा के नीरज ने पहले प्रयास में 82.26 मीटर दूरी तक भाला फेंका। लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने फाउल किया। तीसरे प्रयास में उन्होंने 80.54 मीटर की दूरी तक भाला फेंका।
26 वर्षीय पंजाब के एथलीट पर अपने पिछले दोनों प्रयासों में 82 मीटर की दूरी तय करने के बाद फाइनल प्रयास में 83 मीटर तक की दूरी पार करने का दबाव था और वे राउंड में आखिरी एथलीट थे जिन्होंने फिर बिना गलती किए क्वालीफिकेशन मार्क को पार कर फाइनल में पहुंचने का मौका हाथ से जाने नहीं दिया।
ग्रुप ये से 5 और ग्रुप बी से 7 भाला फेंक एथलीटों ने 83 मीटर के क्वालीफिकेशन मार्क तक या उसे पार कर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। ये सभी एथलीट अब शनिवार को फाइनल में उतरेंगे। देविंदर का तीनों प्रयासों में सबसे अच्छा प्रदर्शन 84.22 मीटर का था जिससे वे फाइनल राउंड क्वालीफायर में 7वें नंबर पर रहे। देविंदर की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि उन्हें मई में नई दिल्ली में हुई इंडियन ग्रां प्री में चोट लग गई थी। गुरूवार को भी वे क्वालीफायर में अपने सीधे कंधे में स्ट्रैप बांधकर उतरे थे।
दिलचस्प यह भी है कि क्वालीफिकेशन से पहले केवन नीरज ही सुर्खियों में बने हुए थे जिनसे भारतीय खेमे को सबसे अधिक उम्मीदें भी थीं। लेकिन देविंदर ने न सिर्फ फाइनल में जगह बनाई बल्कि उन्होंने विश्व चैंपियनशिप के भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाला पहला भारतीय होने की उपलब्धि भी अपने नाम कर ली है।
देविंदर ने फाइनल में जगह बनाने के बाद कहा कि जब मुझे पता लगा कि नीरज क्वालीफाई ही नहीं कर सके हैं और मैं दृढ़ निश्चय हो गया कि मुझे फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करना है। मैं देश के लिए कुछ करना चाहता था। मुझे कंधे में चोट भी है जो मुझे मई में लगी लेकिन इससे मुझे अधिक समस्या नहीं हुई।
देविंदर ने कहा कि मुझे फाइनल से पहले एक दिन का आराम मिल गया है और मुझे यकीन है कि इससे मेरी चोट में आराम आएगा और मैं अपने देश के लिए पदक ला सकूंगा।
इससे पहले सुर्खियों में बने हुए अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण विजेता नीरज अपने ग्रुप ये क्वालीफिकेशन राउंड में हारकर बाहर हो गए। नीरज 83 मीटर के क्वालीफिकेशन मार्क तक पहुंच ही नहीं सके और अपने दूसरे प्रयास के विफल होने से वे और दबाव में आ गए जिससे उनका तीसरा प्रयास और भी निराशाजनक रहा। पहले प्रयास में 82.26 मीटर के बाद तीसरे प्रयास में वे केवल 80.54 मीटर की दूरी तक ही पहुंच सके।
19 साल के जूनियर रिकॉर्डधारी ओलंपिक स्टेडियम में यहां अपने ग्रुप में 7वें स्थान पर रहे। नीरज के लिए भी यह प्रदर्शन काफी निराशाजनक है क्योंकि उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ही 86.48 मीटर का है जबकि इस सत्र में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 85.63 मीटर रहा है।
नीरज ने कहा कि मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की लेकिन क्वालीफिकेशन मार्क हासिल नहीं कर सका। मैं बहुत निराश हूं क्योंकि मैं कुछ मीटर से रह गया। मैं विश्व चैंपियनशिप के लिए काफी मेहनत कर रहा था लेकिन यहां आकर मैं अच्छा नहीं कर सका।
भारतीय खिलाड़ी ने अपने कोच के साथ नहीं आने पर भी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी होती यदि मेरे कोच मेरे साथ आते लेकिन यह मेरे क्षेत्र में नहीं है। मुझे नहीं पता कि मेरे साथ कोई तकनीकी समस्या थी या कुछ और। नीरज को उनके सत्र के प्रदर्शन के बाद पदक का दावेदार माना जा रहा था जिसकी बदौलत वे आईएएएफ रैंकिंग में भी 14वें पायदान पर पहुंचे थे।
नीरज ने इस सत्र में तीन बार 85 मीटर की दूरी तय की है। वे इस वर्ष पेरिस और मोनाको में हुई डायमंड लीग में 5वें और 7वें स्थान पर रहे थे। (वार्ता)