कई स्थापित और उभरते हुए पहलवानों के कोच और उनके माता-पिता ने Vinesh Phogat, विनेश फोगाट, Sakshi Malik, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया Bajrang Punia और तीन अन्य पहलवानों को Asian Games, एशियाई खेलों और World Championship विश्व चैम्पियनशिप के लिए होने वाले ट्रायल से दी गई छूट वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इन महत्वपूर्ण टूर्नामेंट के लिए पहलवानों का चयन निष्पक्ष होना चाहिए।
भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) तदर्थ समिति इन छह पहलवानों को फायदा पहुंचाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है जिसमें बजरंग की पत्नी संगीता फोगाट, साक्षी के पति सत्यव्रत कादियान और जितेंद्र किन्हा भी शामिल हैं।ये छह पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष Brijbhushan Sharan Singh बृजभूषण शरण सिंह पर कई महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ धरने पर बैठे थे।
उभरते पहलवान सुजीत के कोच दयानंद कलकल, युवा अंशु मलिक और सोनम मलिक के पिता तथा अंडर -20 विश्व चैम्पियन महिला पहलवान अंतिम पंघाल के कोच विकास भारद्वाज ने आईओए पैनल के फैसले की निंदा की। सुजीत 65 किग्रा में बजरंग के प्रतिद्वंद्वी के रूप में दिखायी दे रहे हैं।
बदलेगा फैसला मिला आश्वासन
कलकल ने पीटीआई से कहा, मैंने भूपेंदर सिंह बाजवा (डब्ल्यूएफआई तदर्थ पैनल के प्रमुख) से बात की और उन्हें बताया कि यह एक सही फैसला नहीं है। ट्रायल्स निष्पक्ष और बिना किसी पक्षपात के होने चाहिए। उन्होंने मेरी बात सुनी और आश्वासन दिया कि वे इसे वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा, उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल्स 11 जुलाई के चुनाव के बाद नए महासंघ द्वारा आयोजित किए जायेंगे। देखते हैं क्या होता है।
जब पीटीआई ने यह जानने के लिए बाजवा से संपर्क किया कि क्या उन्होंने ऐसा कोई वादा किया है, तो उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही संदेश का जवाब दिया।हालांकि विनेश और बजरंग ने अपने प्रदर्शन से अपनी काबिलियत साबित की है लेकिन कुश्ती जगत को किन्हा, संगीता, साक्षी और उनके पति सत्यव्रत को दी गई छूट से परेशानी हो रही है।
महाराष्ट्र के एक पहलवान ने गोपनीयता की शर्त पर पूछा, जितेंद्र ने पिछले दो वर्षों में एक भी ट्रायल नहीं जीता है। आप उसे सीधे फाइनल में कैसे डाल सकते हो?
साक्षी को हाल के दिनों में 62 किग्रा के कई ट्रायल में सोनम मलिक को हराने के लिए संघर्ष करना पड़ा है जबकि किन्हा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारतीय टीम में नियमित रूप से शामिल भी नहीं रहे हैं।
विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता अंशु के पिता धर्मेंद्र मलिक ने कहा, एशियाई खेल चार साल बाद आते हैं। विश्व चैम्पियनशिप भी ओलंपिक क्वालीफिकेशन के साथ चार साल बाद आती है। ये कोई सामान्य ट्रायल्स नहीं हैं। इन पहलवानों को ट्रायल से छूट देना पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा, विरोध प्रदर्शन सिर्फ न्याय पाने के लिए था और अब वे खुद ही दूसरे पहलवानों पर अन्याय कर रहे हैं।
धर्मेंद्र मलिक ने कहा, सभी को पूरे ड्रा में स्पर्धा करनी चाहिए। सभी पहलवान बराबर हैं। और यदि कोई कमजोर पहलवान है, तो वह मजबूत पहलवानों से भिड़ने के बाद ही मजबूत बनेगा। क्या ऐसा नहीं है।
तोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सोनम मलिक के पिता राजेंद्र मलिक ने कहा, पहले ट्रायल्स में चार मुकाबले जीतने का पुरस्कार क्या है? अगर उन्हें (आईओए) छह पहलवानों को अतिरिक्त समय देना है तो वे दे सकते हैं, लेकिन जो भी पहलवान पहला ट्रायल जीत रहा है, तो उसे आश्वासन देना चाहिए कि वह एशियाई खेलों में जाएगा। बाद में अगर वह दूसरा ट्रायल जीत जाता है, तो उसे विश्व चैम्पियनशिप के लिए भी जाना चाहिए। उन्होंने कहा, क्या यह ठीक नहीं होगा? आप ही बताईये।
वहीं अंतिम के कोच भारद्वाज ने भी आंदोलनकारी पहलवानों को छूट देने के लिए आईओए पैनल की आलोचना की।भारद्वाज ने कहा, यह गलत है। हम इसका विरोध करेंगे। यह स्वीकार्य नहीं है। (भाषा)