नई दिल्ली। भारत में पहली बार आयोजित हो रहे अंडर-17 फीफा विश्वकप फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के बाहर सुरक्षा के तो जबरदस्त बंदोबस्त थे लेकिन स्टेडियम के बाहर ऐसा लग नहीं रहा था कि यहां फीफा विश्वकप हो रहा है।
स्टेडियम के बाहर की मुख्य सड़क पर न तो विश्वकप को लेकर देशों के झंडे लगे थे और न ही कोई होर्डिंग थे, जिससे यह पता लग सके कि यहां विश्वकप मैचों का आयोजन हो रहा है। दोपहर से ही सुरक्षाकर्मी नेहरू स्टेडियम के आसपास तैनात होने शुरू हो गए थे लेकिन स्टेडियम के बाहर विश्वकप को लेकर तैयारियां फीकी थीं।
नेहरू स्टेडियम के अंदर बने वेटलिफ्टिंग हॉल के पीछे की तरफ बाउंड्री वॉल के पास एक छोटा सा विश्वकप का होर्डिंग लगा था लेकिन इसे छोड़ दिया जाए तो नेहरू स्टेडियम के आसपास एक भी होर्डिंग नहीं था और न ही मुख्य द्वार के आसपास विश्वकप की 24 टीमों के झंडे थे।
पहले मैच में खाली पड़ा था स्टेडियम : विश्वकप के पहले मुकाबले में कोलंबिया और घाना की टीमें शाम पांच बजे आमने सामने हुईं लेकिन तब तक नेहरू स्टेडियम एक चौथाई भी नहीं भर पाया था।
लगभग 66 हजार दर्शकों की क्षमता वाला यह स्टेडियम लगभग खाली ही था। मुठ्ठीभर दर्शक इस मुकाबले का रोमांच उठाने के लिए मौजूद थे। मुकाबले की शुरुआत बड़ी सादगी के साथ हुई और दोनों टीमों के राष्ट्रगान के बाद मुकाबला शुरू हो गया।
कोच्चि में फुटबॉलप्रेमियों के लिए मेट्रो सेवा : कोच्चि में फुटबॉलप्रेमियों की सुविधा के लिए मेट्रो अपनी सेवाएं दे रहा है। कोच्चि में महाराजा स्टेशन से अंतिम ट्रेन के लिए रात 11 बजकर 45 मिनट का समय रखा गया है जो सात, दस, 13 और 18 अक्टूबर को मैचों के दिन जारी रहेगा। अलुवा से अंतिम ट्रेन रात 11 बजे चलेगी।
नवी मुंबई में मीडिया के लिए पार्किंग छह किलोमीटर दूर : नवीं मुंबई में विश्वकप मैचों के लिए मीडिया पार्किंग की व्यवस्था छह किलोमीटर दूर रखी गई है जिससे मीडियाकर्मियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नवी मुंबई में पार्किंग इतनी दूर है और जो शटल सर्विस रखी गई है उसके लिए भी मीडियाकर्मियों को टिकट खरीदने पड़ रहे हैं। यहां मैच कवर कर रहे पत्रकारों को इस बात की हैरानी है कि शटल सर्विस के लिए 42 रुपए का टिकट रखा गया है। (वार्ता)