ब्रेडा। भारत के पास पहली बार एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का सुनहरा मौका था, लेकिन उसने पेनल्टी शूटआउट में पराजय झेलकर यह मौका गंवा दिया और ऑस्ट्रेलिया 15वीं बार चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता बन गया। निर्धारित समय तक मुकाबला 1-1 से बराबर रहने के बाद पेनल्टी शूटआउट का सहारा लिया गया जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 3-1 से बाजी मार ली और भारत को लगातार दूसरी बार रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
भारत दो साल पहले लंदन में भी ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में हारा था। भारत ने फाइनल में विश्व की नंबर एक टीम और गत चैंपियन के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया लेकिन उसने साथ ही निर्धारित समय में कई अच्छे मौके भी गंवाए वरना भारत निर्धारित समय में चैंपियन बन जाता। मैच में दोनों टीमों ने तेज खेल का प्रदर्शन किया और मौके भी गंवाए।
ऑस्ट्रेलिया को ब्लेक गोवेर्स ने 24 वें मिनट में पेनल्टी कार्नर पर गोल कर बढ़त दिलाई। भारत को 42 वें मिनट में विवेक प्रसाद ने बराबरी दिलाई जब उन्होंने एक मूव पर उछली गेंद पर पहले ही प्रयास से ऑस्ट्रेलिया के गोलकीपर को पराजित कर दिया। इस के बाद दोनों टीमें निर्धारित समय तक कोई गोल नहीं कर सकी।
खिताब का फैसला अब शूटआउट पर आ गया और ऑस्ट्रेलिया ने पहले दो प्रयास गोल में बदलकर भारत पर दबाव बना दिया। भारतीय कप्तान और गोलकीपर पीआर श्रीजेश एरान जालेवस्की और डेनियल बील के प्रयासों को नहीं रोक पाए। भारत की तरफ से अनुभवी सरदार सिंह ने पहला और हरमनप्रीत सिंह ने दूसरा प्रयास गंवा दिया। ऑस्ट्रेलियाई गोलकीपर टाइलर लोवेल ने अच्छे बचाव किए।
श्रीजेश ने मैथ्यू स्वान का तीसरा प्रयास बचाकर भारत के लिए उम्मीद जगाई लेकिन ललित उपाध्याय तीसरा प्रयास चूक गए। श्रीजेश ने फिर टॉम क्रैग के प्रयास को बचा लिया जबकि मनप्रीत सिंह ने भारत का एकमात्र प्रयास गोल में बदला। जेरेमी एडवर्ड्स ने आखिरी प्रयास गोल में बदल कर जीत और खिताब ऑस्ट्रेलिया की झोली में डाल दिया। (वार्ता)