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साल 2016 : सीनियर निशानेबाजों ने किया निराश...

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नई दिल्ली। परफेक्शनिस्ट अभिनव बिंद्रा ने अपने स्वर्णिम करियर को वर्ष 2016 में अलविदा कह दिया जबकि रियो ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे निशानेबाज लचर प्रदर्शन के बाद खाली हाथ लौटे।
बिंद्रा के करियर का अंत भी मनचाहा नहीं रहा। ओलंपिक में भारत के लिए व्यक्तिगत स्पर्धा का एकमात्र स्वर्ण जीतने वाले बिंद्रा ने सितंबर में खेल को अलविदा कह दिया था। विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा रियो में मामूली अंतर से पदक से चूक गए और तनावपूर्ण शूटऑफ में उन्हें पराजय झेलनी पड़ी। बिंद्रा का प्रदर्शन हालांकि रियो में भारतीय निशानेबाजों में सर्वश्रेष्ठ रहा।
 
रेंज के बाहर खेल सुर्खियों में रहा लेकिन इतने सालों में भारतीय निशानेबाजों ने जो मानदंड कायम किए हैं, उसको देखते हुए यह साल नाकामीभरा रहा।
 
ओलंपिक में 2004 के बाद पहली बार भारतीय निशानेबाज खाली हाथ लौटे। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ ने बिंद्रा की अगुवाई में समीक्षा समिति का गठन किया। समिति ने 36 पन्नों की रिपोर्ट में रियो के फ्लाप शो के लिए व्यवस्था को लताड़ा और आमूलचूल बदलाव की मांग की।
 
गगन नारंग से लेकर हिना सिद्धू और अयोनिका पाल, किसी को नहीं बख्शा गया। बिंद्रा ने 2008 में बीजिंग में स्वर्ण पदक जीता, जबकि विजय कुमार और गगन नारंग ने लंदन में 2012 में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। इससे पहले 2004 में राज्यवर्धन राठौड़ ने रजत पदक जीता था। (भाषा)  

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