नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंद्र ध्रुव बत्रा ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय दल के साथ जुड़े सपोर्ट स्टाफ और कोचों में 21 नाम काटने के केंद्रीय खेल मंत्रालय के फैसले पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि इसका नुकसान आईओए को नहीं बल्कि देश को उठाना पड़ेगा।
ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 4 अप्रैल से होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए गुरुवार को यहां खिलाड़ी विदाई समारोह आयोजित किया गया था। विदाई समारोह के समाप्त होने तक सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था लेकिन समारोह के तुरंत बाद आईओए अध्यक्ष बत्रा और महासचिव राजीव मेहता ने मंत्रालय पर आरोप लगाया कि उन्होंने 21 स्टाफ का नाम काट दिया है और नाम काटने वाले ऐसे लोग हैं जिनका खेलों से कोई लेना-देना नहीं है। बत्रा के इन आरोपों के बाद विदाई समारोह का जैसे तेवर ही बदल गया।
बत्रा ने कड़े शब्दों में कहा कि मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण के लोग सार्वजनिक धन पर गोल्ड कोस्ट जा रहे हैं, लेकिन जिन खिलाड़ियों को अपनी मदद के लिए सपोर्ट स्टाफ की जरूरत है उनके ही नाम मंत्रालय ने काट दिए हैं। मुझे तो मीडिया से यह पता चला है कि 21 लोगों के नाम काट दिए गए हैं जिनमें कोच से लेकर फिजियोथैरेपिस्ट तक शामिल हैं।
गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 222 सदस्यीय भारतीय दल जा रहा है जिनके साथ 30 प्रतिशत के हिसाब से 74 अधिकारी और 21 अतिरिक्त स्टाफ को जाना था, लेकिन मंत्रालय ने इस अतिरिक्त 21 स्टाफ का नाम काट दिया है और बत्रा की सबसे ज्यादा नाराजगी इसी बात को लेकर है। दल के साथ आईओए की ओर से 11 अधिकारी जाएंगे। बत्रा ने खेल मंत्रालय पर भड़कते हुए कहा कि यदि कल राष्ट्रमंडल खेलों में कहीं भारत का प्रदर्शन खराब होता है तो मंत्रालय को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। मंत्रालय का हमेशा यही रवैया रहा है कि वह हर बात के लिए फेडरेशन को जिम्मेदार ठहरा देते हैं जबकि मंत्रालय और साई के अधिकारी सार्वजनिक धन पर ऐसे खेल आयोजनों में चले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े खेल आयोजनों में खिलाड़ी को सपोर्ट स्टाफ की सख्त जरूरत होती है ताकि जरूरत पड़ने पर उसे मदद मिल सके। पिछले इंचियोन एशियाई खेलों में महिला मुक्केबाज़ एल. सरिता देवी का उदाहरण सबके सामने है कि उनके मुकाबले के बाद आपत्ति दर्ज कराने के लिए उनके पास कोई व्यक्ति नहीं था।
टीम मैनेजर को वहां जाने की अनुमति नहीं थी। एक पत्रकार से पैसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। आईओए अध्यक्ष ने कहा कि खिलाड़ी के पास इसलिए स्टाफ का होना बहुत जरूरी है ताकि वह उसकी जरूरतों को समझ सके। कोई भी फेडरेशन अपने खिलाड़ियों और स्टाफ की सूची आईओए को भेजता है और आईओए फिर इसे मंत्रालय के पास भेजता है। आईओए की भूमिका सिर्फ एक डाकिए की होती है।
बत्रा ने साथ ही कहा कि इस सूची को मंत्रालय की मंजूरी मिलना जरूरी है। यदि मंत्रालय कोई नाम काट देता है तो वह फिर भारतीय दल का हिस्सा नहीं बन पाएगा और यदि वह अपने खर्चे पर चला भी जाता है तो भी वह भारतीय दल के साथ नहीं जुड़ पाएगा। इन 21 नामों को जो अतिरिक्त कहा जा रहा है वे अतिरिक्त नहीं बल्कि टीम की जिम्मेदारी के लिए जा रहे थे।
बत्रा ने कहा कि इस स्टाफ में से कोई भी सार्वजनिक धन पर नहीं जा रहा था बल्कि इन्हें फेडरेशन के खर्चे पर भेजा जा रहा था। उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि फिजियो और डाक्टरों के नाम क्यों काट दिए गए हैं। हम एक ऑर्थोपैडिक और फिजिशियन को भेज रहे थे जिनमें फिजियो का नाम काट दिया गया है। मंत्रालय के नाम काटने के बाद मेरे पास कोई अधिकार नहीं रह जाता कि मैं इस फैसले को बदल सकूं। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे पास अभी पूरी सूची नहीं है कि किसके नाम कटे हैं।
जैसे ही यह सूची मिलती है आईओए की ओर से मंत्रालय से आग्रह किया जाएगा कि टीम जरूरत के हिसाब से इन लोगों को गोल्ड कोस्ट भेजा जा सके। बत्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके मंत्रालय के साथ किसी तरह की कोई लड़ाई नहीं है, लेकिन वे सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि इस तरह का स्टाफ खिलाड़ियों की जरूरत के लिए टीम के साथ होना चाहिए लेकिन उनकी बात को मंत्रालय के अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं। (वार्ता)