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बुरी खबर! फिर चोटिल हुए नीरज चोपड़ा, इस टूर्नामेंट से हो सकते हैं बाहर

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, शनिवार, 10 सितम्बर 2022 (13:38 IST)
नई दिल्ली: भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के निर्देश के बावजूद चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा का लंबे अंतरराष्ट्रीय सत्र और कमर में चोट के कारण आगामी राष्ट्रीय खेलों में भाग लेना मुश्किल है।ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता चोपड़ा ने गुरुवार को ज्यूरिख में प्रतिष्ठित डायमंड लीग फाइनल का खिताब जीत कर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। वह इस खिताब को जीतने वाले पहले भारतीय बने।

इसके एक दिन बाद उनसे 29 सितंबर से 12 अक्टूबर तक गुजरात के विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के बारे में पूछा गया।

चोपड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रीय खेल करीब आ रहे हैं। मैं अभी कमर की चोट से उबर रहा हूं। मैं एक या दो सप्ताह तक प्रशिक्षण नहीं ले पाऊंगा। इसलिए मैं मुख्य रूप से अगले साल पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।’’

आईओए ने देश के शीर्ष एथलीटों के लिए खेलों में भाग लेना अनिवार्य कर दिया है, जिससे कई खिलाड़ियों को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ सकता है।आईओए का निर्देश गृह मंत्री अमित शाह द्वारा खेलों के शुभंकर और राष्ट्रगान के लॉन्च के बाद आया है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह अब तक के सबसे बड़े और भव्य राष्ट्रीय खेल होंगे।

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन सात साल के लंबे अंतराल पर होगा।इस चोट के कारण चोपड़ा अमेरिका में हुए विश्व चैम्पियन में रजत पदक जीतने के बाद इस साल जुलाई-अगस्त में राष्ट्रमंडल खेलों में भाग नहीं ले पाए थे।

उन्होंने हालांकि एक महीने के बाद 26 अगस्त को डायमंड लीग सीरीज के लुसाने चरण को जीतकर यहां फाइनल के लिए क्वालीफाई किया और इसके विजेता बनकर अंतरराष्ट्रीय सत्र को शानदार तरीके से खत्म किया।
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पिछले सत्र में बाहर की चीजों से सामंजस्य बैठाने में समस्या हुई थी: नीरज चोपड़ा

टोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद व्यावसायिक दायित्वों और सामाजिक प्रतिबद्धताओं ने नीरज चोपड़ा के खेल पर काफी असर डाला।चोपड़ा ने उस अनुभव से ‘सीख’ लेने के बाद आगामी सत्र में चीजों को अलग तरह से करने की योजना बनायी है।

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी चोपड़ा ने गुरुवार को ज्यूरिख में प्रतिष्ठित डायमंड लीग फाइनल का खिताब जीतने वाला पहला भारतीय बन कर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।चोपड़ा ने शुक्रवार को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पिछला साल मेरे लिए नया अनुभव था, सामंजस्य बैठाने में परेशानी हो रही थी लेकिन उस सत्र से मैंने काफी कुछ सीखा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इस बार कुछ व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के लिए मैं तारीखें पहले ही दे दूंगा। जब अभ्यास का समय आएगा तो मैं उस पर पूरा ध्यान दूंगा ताकि तैयारी में कोई कमी ना रहे।’’
विश्व चैम्पियनशिप के इस रजत पदक विजेता ने कहा, ‘‘ मैंने ओलंपिक के बाद देर से अभ्यास शुरू किया, ऐसे में फिटनेस हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती थी। मैंने इस दौरान तकनीक और ताकत पर काम किया।’’उन्होंने कहा, ‘‘ इस बार मैं तकनीकी रूप से बहुत अच्छा था। भाला एक तकनीकी खेल है, इसलिए इसने इस बार मेरी मदद की।’’

90 मीटर ना छू पाने पर यह कहा नीरज ने

चोपड़ा लगातार 90 मीटर के करीब तक भाला फेंक रहे लेकिन 90 मीटर की बाधा को पार नहीं कर पा रहे है। उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मैं बिल्कुल भी निराश नहीं हूं, यह (90 मीटर) सिर्फ एक करिश्माई आंकड़ा है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप उस दिन कैसा प्रदर्शन करते हैं। अगर आप 90 मीटर की दूरी हासिल कर लेते हैं और जीत नहीं पाते हैं, तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझ पर 90 मीटर का कोई दबाव नहीं है, कोई निराशा नहीं है, यह जब होना होगा तब होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व एथलेटिक्स अब भारतीय एथलीटों और उनके प्रदर्शन पर ध्यान देने लगा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं चाहता हूं कि भारत के ज्यादा खिलाड़ियों को वैश्विक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिले। इससे खिलाड़ियों को अनुभव मिलेगा।’’

ज्यूरिख में चोपड़ा ने फाउल से शुरुआत की लेकिन अपने दूसरे प्रयास में 88.44 मीटर भाला फेंक कर वह शीर्ष पर पहुंच गए। यह उनके करियर का चौथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है जो आखिर में उन्हें स्वर्ण पदक दिला गया। उन्होंने अपने अगले चार प्रयास में 88.00 मीटर, 86.11 मीटर, 87.00 मीटर और 83.60 मीटर भाला फेंका।

पहले प्रयास में फाउल थ्रो के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‘‘ कल मैं फिसल गया इसलिए फाउल हो गया। मैं अभ्यास में अच्छा कर रहा था और लय अच्छी थी। मैं 88.44 से संतुष्ट नहीं था। यह सत्र की आखिरी प्रतियोगिता थी, इसलिए मैं थोड़ा थक गया था। मेरा ध्यान हालांकि अच्छा करने पर था।’’

वह डायमंड लीग मीट में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी है। उन्होंने लुसाने में 89.08 मीटर के थ्रो से अपने करियर के तीसरे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ यह खिताब जीता था।

ज्यूरिख में चोपड़ा ने फाउल से शुरुआत की लेकिन अपने दूसरे प्रयास में 88.44 मीटर भाला फेंक कर वह शीर्ष पर पहुंच गए। यह उनके करियर का चौथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है जो आखिर में उन्हें स्वर्ण पदक दिला गया। उन्होंने अपने अगले चार प्रयास में 88.00 मीटर, 86.11 मीटर, 87.00 मीटर और 83.60 मीटर भाला फेंका।

चेक गणराज्य के ओलंपिक रजत पदक विजेता जैकब वाडलेज 86.94 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इसे उन्होंने अपने चौथे प्रयास में हासिल किया। जर्मनी के जूलियन वेबर 83.73 मीटर के साथ तीसरे स्थान पर रहे।(भाषा)

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