नई दिल्ली। दुनियाभर में चल रहे 'हैशटेग मी टू मूवमेंट' के भारत में भी जोर पकड़ने के बाद कई महिला टीवी हस्तियों और पत्रकारों ने जहां अपने शोषण की बात खुलकर बताई है, वहीं बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने भी मानसिक शोषण की बात कहकर अपने कड़वे अनुभव को सामने रखा है।
महिला युगल बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला ने हमेशा ही सार्वजनिक तौर पर अपने पक्ष को मुखर होकर सामने रखा है और अब उन्होंने चयन प्रक्रिया को लेकर मानसिक दबाव की बात कही है। उन्होंने ट्विटर पर अपने मानसिक शोषण की कहानी बताते हुए कहा कि वर्ष 2006 से जब यह व्यक्ति प्रमुख बना, उसने मुझे राष्ट्रीय चैंपियन होने के बावजूद राष्ट्रीय टीम से बाहर फेंक दिया।
ज्वाला ने लिखा कि हाल की बात है, जब मैं आरआईओ से वापस आई और मैं फिर से राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दी गई। यही एक सबसे बड़ी वजह है कि मैंने खेलना बंद कर दिया।
हैदराबाद की ज्वाला का राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद के साथ भी काफी विवाद रहा है और उन्होंने सार्वजिनक तौर पर गोपीचंद पर भेदभाव करने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गोपीचंद एकल खिलाड़ियों पर युगल खिलाड़ियों से अधिक ध्यान देते हैं।
इससे पहले ज्वाला ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में नजरअंदाज किए जाने और युगल खिलाड़ी नहीं मिलने का आरोप भी गोपीचंद पर लगाया था। हालांकि महिला बैडमिंटन खिलाड़ी ने अपने ट्वीट में गोपीचंद का नाम नहीं लिया है। गोपीचंद फिलहाल राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच हैं और साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, किदाम्बी श्रीकांत, पारुपल्ली कश्यप जैसे खिलाड़ियों की सफलता में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है।
लेकिन कुछ वर्ष पहले साइना ने भी गोपीचंद पर कुछेक चुनींदा खिलाड़ियों पर अधिक ध्यान देने का आरोप लगाते हुए विमल कुमार को अपना निजी कोच नियुक्त कर लिया था। हालांकि साइना ने गोपीचंद के साथ दोबारा संबंध सुधार लिए और उनसे ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। अर्जुन अवॉर्ड विजेता ज्वाला ने वर्ष 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में मिश्रित युगल का स्वर्ण जीता था। राष्ट्रमंडल खेलों में भी वे 1 स्वर्ण, 2 रजत और 1 कांस्य जीत चुकी हैं। (वार्ता)