नई दिल्ली:भारतीय खो खो महासंघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता सुधांशु मित्तल का सपना है कि खो-खो को ओलंपिक खेल का दर्जा मिले और इसके लिए वह वैज्ञानिक सोच के साथ इस खेल में नयापन लाएंगे तथा इसे आकर्षक बनाएंगे।
मित्तल ने कहा कि वह देश और दुनिया में खो-खो के लिए माहौल बनाने के बारे में काम कर रहे हैं और उनकी पहली प्राथमिकता खिलाड़ियों को सुविधा देना और खो-खो को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाने की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तौर-तरीकों के साथ इस खेल को दर्शकों और टीवी के लिए आकर्षक बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल उन्हें उस दिन का इंतजार है जब यह विशुद्ध भारतीय खेल 2022 के एशियाई खेलों में शामिल होगा। मित्तल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार द्वारा परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने के चलते खो खो की प्रगति संभव है।
उन्होंने कहा कि इस खेल के लिए पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। ठीक वैसे ही जैसे कबड्डी ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए विश्व स्तर पर पहचान बनाई है। लेकिन कबड्डी की कामयाबी का राज उसकी प्रो लीग है,जिसने खेल और खिलाड़ियों को मालामाल कर दिया है क्योंकि कबड्डी में खिलाड़ी सुरक्षित भविष्य देख रहे हैं इसलिए जो दिखता है वही बिकता है कि कहावत सच हो रही है।
मित्तल का मानना है कि कबड्डी की तर्ज पर वह भी पिछले नवंबर माह में खो-खो लीग के आयोजन का फैसला कर चुके थे लेकिन कोरोना के कारण इस योजना को रोकना पड़ा मगर उन्हें विश्वास है कि लीग का आयोजन इस साल शीघ्र संभव हो पायेगा।
मित्तल ने कहा कि एशियाड में शामिल होने के बाद उनके खेल को ओलम्पिक में जगह पाने के लिए कम से कम 70 देशों का समर्थन चाहिए, जोकि कुछ वर्षों में संभव हो सकता है। मित्तल ने खेल मंत्री किरेन रिजिजू की तारीफ करते हुए कहा कि वह भारतीय खेलों की नब्ज पहचानते हैं और हर खेल की गहरी समझ रखते हैं तथा प्राचीन भारतीय खेलों को नयापन देने का प्रयास कर रहे हैं और खो खो को उनका हर प्रकार से सहयोग मिल रहा है।(वार्ता)