नई दिल्ली। महेश भूपति ने रविवार को कहा कि भारतीय डेविस कप टीम से लिएंडर पेस को बाहर रखने में उनका कोई निजी एजेंडा नहीं था और उन्होंने साथ ही कहा कि उनके पूर्व साझेदार का बेंगलुरु में मुकाबले के बीच से ही चला जाना ताबूत में अंतिम कील थी।
उज्बेकिस्तान के खिलाफ भारत के डेविस कप मैच के बाद भूपति ने पेस के साथ 5 मार्च की वॉट्सऐप चैट सार्वजनिक की जिसमें भूपति पेस से कह रहे हैं कि उन्होंने अब तक संयोजन पर फैसला नहीं किया है लेकिन तार्किक रूप से रोहन बोपन्ना बेंगलुरु के हालात के अधिक अनुकूल हैं। पेस ने इसके बाद भूपति पर भेदभाव का आरोप लगाया था।
भूपति ने हालांकि रविवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा कि अपने करियर के 20 साल के दौरान मेरा हमेशा से विश्वास रहा कि तथ्य हमेशा सामने आते हैं और जब तक कि मुझे गिराया नहीं जाए मैं कभी प्रतिक्रिया नहीं देता, क्योंकि कुछ भी कहा जाए मीडिया इसे निजी शत्रुता बताता है। सबसे पहले तो मैं यह कह दूं कि निजी शत्रुता नहीं थी। जब मैं 1994 में डेविस कप टीम में आया तो मैं लिएंडर का प्रशंसक था और उसे वेन फरेरा के खिलाफ खेलते देखकर रोमांचित था, जो दुनिया का 10वें नंबर का खिलाड़ी था।
उन्होंने कहा कि उसने फरेरा को सीधे सेटों में हराया। मैं प्रशंसक से अधिक बन गया, टेनिस के अलावा टेनिस जगत और मीडिया में उसका आकर्षण था। हालांकि चीजें तेजी से बदलीं, जब हमारे कप्तान जयदीप मुखर्जी और कोच एनरिको पिपर्नो को 1999 के अंत में टीम से बाहर कर दिया गया, क्योंकि उसने अटकलें सुनी थीं कि ये नाराज हैं, क्योंकि वह इटली के खिलाफ मुकाबले के लिए नहीं आया लेकिन अगले हफ्ते चेन्नई में खेलने के लिए पूरी तरह फिट था, यह पहले मतभेद थे।
भूपति ने कहा कि सम्मान शब्द के लिए उसकी अपनी परिभाषा थी और जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि ट्रैक पर सिर्फ एक रेल है और या तो आप इस पर चढ़ जाइए या फिर घर बैठिए। पिछले वर्षों में मैं घटनाओं पर संभवत: किताब लिख सकता था लेकिन मैं इन्हें संक्षिप्त रखने का प्रयास कर रहा हूं।
भारतीय कप्तान ने कहा कि अगर मैं 5 मिनट के लिए भूल जाऊं, जब उसने हर समय टीम में अपनी जगह को अहमियत नहीं दी और डेविस कप या ओलंपिक के लिए देर से पहुंचा या पोशाक को लेकर टीम के आग्रह को नहीं माना या कप्तान या प्रबंधन को स्पष्ट कह दिया कि चीजें उसके मुताबिक होनी चाहिए तो भी शनिवार को मुकाबले से उसका बीच से जाना ताबूत में अंतिम कील थी।
स्पष्ट चेतावनी में भूपति ने कहा कि अगर पेस को उनके विचार पसंद नहीं हैं तो उसे उनके रास्ते में नहीं आना चाहिए, क्योंकि उन्हें एआईटीए का समर्थन हासिल है। (भाषा)