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नीरज चोपड़ा हिंदी में ही क्यों देना चाहते हैं मीडिया के जवाब? किया खुलासा (वीडियो)

हमें फॉलो करें नीरज चोपड़ा हिंदी में ही क्यों देना चाहते हैं मीडिया के जवाब? किया खुलासा (वीडियो)
, मंगलवार, 14 सितम्बर 2021 (10:48 IST)
खेल जगत में अगर कोई पिछले 1 महीने से युवा वर्ग का पसंदीदा खिलाड़ी है तो वह हैं नीरज चोपड़ा। नीरज चोपड़ा ओलंपिक में भारत के लिए एथलेटिक्स में मेडल का खाता गोल्ड से खोला। लेकिन उसके बाद जब उनके बारे में लोगों ने जाना तो वह काफी जमीन से जुड़े हुए लगे।

ऐसा दो बार हुआ जब नीरज चोपड़ा को अंग्रेजी में प्रश्न पूछा तो उन्होंने उसे हिंदी में पूछने की गुजारिश की। इन दोनों वाक्यों के वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुए थे। पहला वाक्या साल 2018 में हुई एकाराम स्पोर्ट्स  लिटरेरी फेस्टीवल के दौरान हुई जब एक पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा At time you get frustrated..
उनको बीच में ही रोककर नीरज चोपड़ा ने पत्रकार से पूछा कि हिंदी आती है आपको और कहा कि हिंदी में पूछ लो।

ऐसी एक और शानदार पहल वह साल 2019 में कर चुके थे, जिसका वीडियो हाल ही में ट्विटर पर काफी वायरल हुआ। इंडियन स्पोर्ट्स हॉनर अवार्ड समारोह में मशहूर कमेंटेटर और होस्ट जतिन सप्रू नीरज चोपड़ा के पास गए। हरियाणा के गांव के निवासी नीरज सूट बूट में बैठे थे तो जतिन सप्रू ने अलग अंदाज में उनसे पूछा।

वीडियो में दिखाया गया कि वह पहले सवाल पूछने शुरु करते हैं नीरज चोपड़ा को। नीरज को उन्होंने Dashing Young Dude कह कर संबोधित किया। नीरज सम्मान के तौर पर खड़े हो गए लेकिन एंकर ने उन्हें बैठा दिया।

इसके बाद जतिन ने उनसे पूछा, How Did Javelin Happened? You know tell us your story, इसके जवाब में नीरज ने बोला हिंदी में पूछ लो भाई और एंकर को अपना सवाल हिंदी में पूछना पड़ा।
चाहे तो वह भी दोनों मौकों पर अंग्रेजी मे जवाब पकड़ा कर खुद पर एलीट क्लब की छवि ओढ़ सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी मातृभाषा हिंदी में बोलना ही उचित समझा क्योंकि वह दिल से देसी छोरे हैं।

क्यों हिंदी में बोलते हैं नीरज, हाल ही में किया था खुलासा

हाल ही में एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी मीडिया हाउस की पत्रकार ने उनसे इस बारे में सवाल पूछा था कि वह हिंदी में ही सवाल का जवाब क्यों देते हैं। तो उन्होंने कहा था कि वह गांव के लड़के हैं और उनके परिवार का पूरा परिवेश गांव का है।
ऐसे में अगर वह कोई इंटर्वयू देखें तो उनके परिवार और आस पड़ोस में रहने वाले लोगों को समझ आना चाहिए कि मैं क्या कह रहा हूं। अगर मैं अपने ही लोगों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाउं तो फिर मेरे बोलने का क्या मतलब है। (वेबदुनिया डेस्क)

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