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'अभय प्रशाल' से अभिभूत हुए स्वात घाटी के अजहर अहमद

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सीमान्त सुवीर

दोपहर में बारिश की सुहानी फुहार के खुशनुमा मौसम को पीछे छोड़कर मैंने जैसे ही 'अभय प्रशाल' के भीतर प्रवेश किया, वहां रीजनल एशियन होप्स कैंप में 9 देशों के 24 खिलाड़ी विश्वस्तरीय कोचों की देखरेख में पूरी शिद्दत के साथ टेबल टेनिस के नए-नए गुर सीख रहे थे। पाकिस्तान की स्वात घाटी से आए अजहर अहमद बिना किसी औपचारिकता के इंटरव्यू देने के लिए सहर्ष तैयार हो गए। पूरे अंग्रेज लग रहे अजहर से हुई बातचीत को उन्हीं की जुबानी पढ़िए...
मेरी उम्र 36 बरस है और मैं पहली बार भारत और इंदौर आया हूं लेकिन यहां आकर महसूस ही नहीं हो रहा है कि मैं घर से बाहर हूं। जब से यहां आए हैं, हल्की-हल्की बारिश हो रही है। यहां का मौसम जबरदस्त है। मैं तो खूब एंजॉय कर रहा हूं। यहां आकर 'अभय प्रशाल' की अत्याधुनिक सुविधाओं को देखकर मैं अचंभित रह गया। इंदौर का माहौल और मौसम मुझे इस कदर भा गया कि अगली बार आप मुझे इंदौर 100 बार बुलाओगे तो मैं सौ बार दौड़ा चला आऊंगा...

यकीन मानिए कि मुझे यह इतनी अच्छी जगह लगी है कि मैं अपने घर को भूल गया हूं। कोचिंग के सिलसिले में मैं पाकिस्तान के अलावा अन्य कई देशों में गया हूं लेकिन 'अभय प्रशाल' से बेहतर जगह मुझे और कहीं नहीं मिली। यहां की मेहमाननवाजी ने मुझे कायल करके रख दिया है। यहां बिताए दिन कभी नहीं भूल पाऊंगा। 
 
मेरी शिक्षा पेशावर के इस्लामिक कॉलेज से हुई, जो ब्रिटिशकाल में बना था। स्कूल में मैं हॉकी टीम का कप्तान रहा और यहां से हॉकी के कई नेशनल प्लेयर निकले। मैंने क्रिकेट और बैडमिंटन भी खेला। मैं फिजिकल फिटनेस के लिए फुटबॉल खेला करता था लेकिन फुटबॉल में मेरे दोनों लिगामेंट टूट गए। टेबल टेनिस भी खूब खेला लेकिन पिछले 13 बरस से मैं कोचिंग और टेबल टेनिस में रिसर्च कर रहा हूं। 
 
मैंने पोलिटिकल साइंस में मास्टर्स डिग्री ली और पूरी तरह से टेबल टेनिस का प्रोफेशनल कोच बन गया। मेरे तीन बच्चे हैं लेकिन एक ही बच्चे को इस खेल में रुचि है। जब मैं छोटा था, तब रेडियो पर पागलों की तरह कमेंट्री सुनता था। धीरे-धीरे भारत और पाकिस्तान दोनों की कलात्मक हॉकी पीछे छूटती चली गई और यूरोपीय देशों ने अपने हिसाब से नियम बना लिए। आज यदि आप मुझसे हॉकी के 100 नियम पूछो तो मैं 60 फीसदी नियम भी नहीं बता पाऊंगा। पाकिस्तान की हॉकी के गर्त में जाने का दु:ख होता है। हम वर्ल्ड और ओलंपिक चैंपियन रहे लेकिन आज ओलंपिक में क्वालीफाई तक नहीं कर सके हैं। 
 
मैं स्वात घाटी में टेबल टेनिस की प्रोफेशनल एकेडमी चलाता हूं, जहां 17 बच्चे तैयार हो रहे हैं। जिंदगी के सबसे खुशनुमा पल के बारे में बताता हूं... 8 साल का रमीज खान नाम का मेरा एक स्टूडेंट था, जिसकी ऊंचाई टेबल बराबर थी। उसने एक बार 16 साल के प्रोफेशनल प्लेयर को हराया था, यह लम्हा मैं आज तक नहीं भूला हूं। मेरी जिंदगी का सबसे बुरा वाकया यह रहा था कि अंडर 16 में पाकिस्तान की टीम श्रीलंका के हाथों परास्त हो गई थी। यह अंतर 10 और 20 का था। 
 
भारत में जिस तरह क्रिकेट का क्रेज है, वही क्रेज पाकिस्तान में भी है और उसने दूसरे खेलों को हाशिए पर धकेल दिया है। भारत में यह अच्छी बात है कि बैडमिंटन और फुटबॉल लीग की शुरुआत हो गई, जिसके कारण अब सिलेक्टर कैमरे और टीवी पर आने वाले बेस्ट को पहचाने लगे हैं। टेबल टेनिस लीग की शुरुआत भी होने जा रही है। लीग का सबसे बड़ा फायदा खिलाड़ियों को मिलता है। आज खिलाड़ियों को नाम से कहीं अधिक जरूरत पैसे की होती है। वे खेल के साथ ही अपना भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं। पाकिस्तान में अभी इस तरह की लीग की शुरुआत होना बाकी है। 
 
क्रिकेट में मुझे अफरीदी और विवाट कोहली पसंद हैं। बॉलीवुड में मैं रणबीर कपूर का फैन हूं। इसके अलावा शाहरुख खान, सलमान खान भी पसंद हैं। अदाकाराओं में दीपिका पादुकोण, सोनम कपूर और अनुष्का शर्मा अच्छी लगती हैं। स्वात घाटी के बारे में यही बताना चाहूंगा कि यहां के लोग बहुत शांतिप्रिय हैं। पहाड़ी इलाका है। लोग बहुत सुकून से रहते हैं, मोहब्बत करने वाले लोग हैं। 
 
रीजनल एशियन होप्स के कैंप में मुझे भारत के वरुण गणेश और पायस जैन ने बहुत प्रभावित किया है। मुझे उम्मीद है कि यह दोनों आने वाले वक्त में सफलता के नए आयाम स्थापित करेंगे। इस कैंप के जरिए इंदौर के खिलाड़ियों को भी उसका लाभ मिलेगा। खिलाड़ियों को मेरा यही संदेश है, हार्ड वर्क, हार्ड वर्क और हार्ड वर्क। यही हार्ड वर्क उन्हें ऊंचाई पर ले जा सकता है। भारत के बारे में मेरा यही कहना है यह एक ग्रोइंग कंट्री है। यह देश बहुत तेजी के साथ विकास कर रहा है।

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