नई दिल्ली। देश में खेलों में राजनीतिज्ञों की पकड़ और दखलंदाजी भले ही बेहद मजबूत हो लेकिन एक सर्वेक्षण के मुताबिक 96 फीसदी लोगों का यही मानना है कि खेल महासंघों से राजनेताओं को यथासंभव दूर ही रखना चाहिए।
एक चौंकाने वाली नियुक्ति के तहत हाल ही में सुरेश कलमाड़ी तथा अभय सिंह चौटाला को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) का आजीवन अध्यक्ष बनाया गया है। कलमाड़ी राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपी रहे हैं जबकि चौटाला के बतौर आईओए अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने आईओए को प्रतिबंधित कर दिया था।
कलमाड़ी और चौटाला की ताजा नियुक्ति पर लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली थी और लोगों ने इनकी नियुक्ति को राजनीतिक प्रभाव बताते हुए इस पर सवाल उठाया है। लोकल सर्कल्स के एक ताजा सर्वे में 200 जिलों के 7500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमें 96 फीसदी लोगों ने इस बात का पुरजोर तरीके से समर्थन किया कि ऐसे राजनीतिक प्रभाव रखने वाले लोगों को खेल महासंघों से दूर रखना चाहिए।
लोगों का मानना है कि अधिकतर खेल महासंघों के शीर्ष पदों पर में ऐसे राजनेताओं तथा नौकरशाहों का कब्जा है जिन्हें खेल का ककहरा भी नहीं मालूम है। ये केवल अपने राजनीतिक प्रभावों के बलबूते महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा जमा लेते हैं जोकि खेल के हित में नहीं है।
सर्वे में खेल के विकास में भ्रष्टाचार को दूसरा महत्वपूर्ण अवरोध मानते हुए 92 फीसदी लोगों ने माना है कि राज्य खेल संघों और इकाइयों में भ्रष्टाचार चरम पर है जिसे दूर करने की जरूरत है। 86 फीसदी लोगों का मानना है कि खेल इकाईयों के महत्पूर्ण पदों पर पूर्व खेल दिग्गजों की नियुक्ति ही होनी चाहिए। ऐसे लोगों को खेल की अच्छी समझ होती है जो कि नई प्रतिभाओं को सामने लाने में मददगार होगा। (वार्ता)