नई दिल्ली। मानवादित्य सिंह राठौड़ को पहले लगता था कि एक चैंपियन निशानेबाज का बेटा होने के कारण उन्हें तुलना से गुजरना होगा और इससे वे सतर्क भी हो गए, लेकिन इस धारणा में बदलाव लाने पर उन्हें फायदा हुआ और वे अच्छा प्रदर्शन करने लगे। निशानेबाजी अपनाने के 8 साल बाद तथा ओलंपिक रजत पदक विजेता पिता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से मिले गुर के दम पर मानवादित्य की निगाहें अब भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाने पर लगी हैं।
इस 20 वर्षीय खिलाड़ी ने हाल में यहां समाप्त हुई 2 दिवसीय 63वीं राष्ट्रीय शॉटगन निशानेबाजी चैंपियनशिप में 3 स्वर्ण पदक जीते। जूनियर स्तर के टूर्नामेंटों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद मानवादित्य अब अगले महीने होने वाले ट्रायल्स में अच्छा प्रदर्शन करके सीनियर टीम में चयन के लिए दावा पेश करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, मैं इस तरह के प्रदर्शन के साथ जूनियर स्तर के टूर्नामेंट का समापन करके खुश हूं। किसी भी अन्य खिलाड़ी की तरह मेरा लक्ष्य भी ओलंपिक में भाग लेना और वहां पदक जीतना है, लेकिन मेरा तात्कालिक लक्ष्य भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाना है।
अपनी चिकित्सक मां के अलावा मानवादित्य के लिए उनके पिता प्रेरणास्रोत हैं। मानवादित्य से पूछा गया कि क्या अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पिता का बेटा होने से उन्हें फायदा मिला, उन्होंने कहा, शुरू में जब भी मैं किसी टूर्नामेंट में खेलता था तो मैं अधिक सतर्क हो जाता था। मैं कई चीजों के बारे में सोचता था।
उन्होंने कहा, लेकिन जब मैंने इस पर गहन विचार किया और मुझे अहसास हुआ कि मैं उनसे काफी फायदा उठा सकता हूं। मेरे पिता स्वयं एक खिलाड़ी हैं और इसलिए वे इसे बेहतर समझ सकते हैं। हां, वह अक्सर मुझे गुर सिखाते हैं और अपने अनुभव बांटते हैं। इससे निश्चित तौर पर मदद मिलती है। मानवादित्य ने कहा, कई बार हम दोनों एक साथ रेंज पर जाते हैं और निशानेबाजी करते हैं। यह पिकनिक भी हो जाती है। इससे अच्छा लगता है।
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