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'हॉकआई' से अब भी खफ़ा हैं फेडरर

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लंदन , रविवार, 5 जुलाई 2015 (19:14 IST)
लंदन। विश्व के नंबर दो टेनिस खिलाड़ी और 17 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर साल के तीसरे ग्रैंड स्लेम विंबलडन टूर्नामेंट के दौरान ‘हॉकआई’ प्रणाली से नाराज़ दिखाई दे रहे हैं।
   
सात बार विंबलडन में चैंपियन रह चुके फेडरर ने शनिवार को तीसरे राउंड में ऑस्ट्रेलिया के सैम ग्रोथ को हराने के बाद कहा कि रात को होने वाले मुकाबलों के दौरान यह प्रणाली बिलकुल बेअसर रहती है और बेहतर होगा कि जो मैच देर रात तक जा रहे हों, उन्हें रोक दिया जाए।
     
टूर्नामेंट में गत मंगलवार को पहले दौर के मैच देर रात समाप्त हुए थे। छठी वरीयता प्राप्त चेक गणराज्य के टॉमस बेर्दिच का मुकाबला रात साढ़े नौ बजे तक चला था और उनका कहना था कि कोर्ट वन पर उनके लिए नेट के ऊपर से निकलती गेंद को देख पाना मुश्किल हो रहा था।
     
हॉक आई की शुरुआत वर्ष 2007 में ऑल इंडिया क्लब से ही की गई थी। हालांकि तब भी विंबलडन के फाइनल के दौरान विश्व का यह शीर्ष खिलाड़ी इसकी विश्वसनीयता को लेकर संतुष्ट नहीं था। फेडरर ने रफेल नडाल के खिलाफ फाइनल के दौरान अंपायर के पास जाकर इसे बंद करने की मांग भी कर डाली थी। उसके आठ साल बाद भी वे इस प्रणाली को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। 
     
पिछले 13 वर्षों में 12वीं बार विंबलडन के दूसरे सप्ताह में पहुंचने वाले फेडरर ने कहा, मैं नहीं मानता कि इससे दिया गया निर्णय सौ फीसदी सही है, लेकिन फिर भी यह ठीक है, क्योंकि कोई भी मैदान में चूक के कारण टूर्नामेंट से बाहर नहीं होना चाहता। 
 
मैं यह नहीं समझ पाता कि रात्रि के मैचों का आयोजन क्यों होता है जब हॉक आई बेअसर रहती है। मेरा मानना है कि देर रात के मुकाबलों को रोक दिया जाना चाहिए। (वार्ता)

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