चेन्नई। सोमदेव देवबर्मन ने आज कहा कि यह उनके लिए अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास लेने का सही समय था क्योंकि उनमें खेलने के लिए जो जुनून था वह खत्म हो रहा था और उन्हें लग रहा था कि वे अपनी सर्वश्रेष्ठ टेनिस खेलने में सक्षम नहीं हैं। सोमदेव अभी 31 साल के हैं लेकिन उन्होंने रैकेट टांगने का फैसला कर लिया है। वे एटीपी विश्व टूर में दो बार उप विजेता रहे जो टूर में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। बेसलाइन के अपने शानदार खेल के लिए मशहूर रहे सोमदेव ने डेविस कप में भारत को कई यादगार जीत दिलाई है।
सोमदेव ने चेन्नई ओपन से बातचीत में कहा कि मैंने आखिरी मैच मार्च (2015) में इंडियन वेल्स में खेला था और उसके बाद मैंने अपने करीबी लोगों से बात की। मैंने तभी संन्यास लेने का फैसला कर लिया था। मैंने पढ़ा था कि लोग कह रहे हैं कि मैं चोटों से जूझता रहा हूं लेकिन इसका कारण यह नहीं हैं।
मैं सही वजहों के लिए खेलना चाहता था। खेलना मेरे लिए बेहतरीन मनोरंजन और जुनून था जो कि धीरे धीरे खत्म हो रहा था। उन्होंने कहा कि यह मेरी सबसे बड़ी मजबूती थी। मेरे लिए फोरहैंड और बैकहैंड से अधिक मेरा जुझारूपन, जुनून और जज्बा महत्वपूर्ण थे। दूसरा मैं जानता था कि मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ टेनिस नहीं खेल पाउंगा। मैं शीर्ष 100 में रहना चाहता था और चोटों के कारण मैं उस मुकाम पर पहुंचा जहां मुझे लगने लगा कि फिर से शीर्ष 100 में जगह बनाना मुश्किल है। मुझे लगा कि अब खेल को अलविदा कहने का समय आ गया है।
अपने करियर में 2011 में सर्वश्रेष्ठ 62 रैकिंग पर पहुंचने वाले सोमदेव ने कहा कि अभ्यास के दौरान का आनंद पहले जैसा नहीं था। दौरों पर जाने का आनंद पहले जैसा नहीं था। मैं थका नहीं था। मैं लंबे समय से ऐसा कर रहा था। इसमें कुछ भी नया नहीं था।
एशिया में खेलना और टूर्नामेंट के लिए दौरों पर रहना मुझे उत्साहित नहीं कर पा रहे थे। अब जबकि सोमदेव ने संन्यास ले लिया है तब उन्हें लगता है कि एआईटीए खेल के पर्याप्त काम नहीं कर रहा है क्योंकि वहां इच्छाशक्ति की कमी है।
सोमदेव ने कहा कि खेलों को लेकर हमें अपनी संस्कृति बदलने की जरूरत है। पेशेवर खेल कोई मजाक नहीं है। लोग इसे नहीं समझते हैं। हमारे पास शीर्ष पर सही लोग नहीं है जो यह सही में यह समझ पाएं कि विश्वस्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए क्या करना चाहिए।
राष्ट्रीय महासंघों में जो लोग हैं वे फैसले करने के लिए सही लोग नहीं हैं। वे कुछ नहीं कर रहे हैं और यह फैसला है। मैं भारतीय व्यवस्था की देन नहीं हूं बल्कि मैं अमेरिका की कालेज व्यवस्था की देन हूं। मैं नहीं जानता कि एआईटीए खिलाड़ियों के लिए क्या करता है। हमारे पास अभ्यास के केंद्र नहीं है और हमारे पास विशेषज्ञ नहीं हैं।
इससे पहले सोमदेव ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा कि 2017 की शुरुआत नए तरीके से पेशेवर टेनिस से संन्यास लेकर कर रहा हूं। सभी का इतने वर्षों तक मेरा समर्थन करने और इतना प्यार देने के लिए शुक्रिया। सोमदेव ने जब 2008 में टेनिस में पदार्पण किया था, तब से वह भारत के स्टार एकल खिलाड़ी थे।
भारत की डेविस कप टीम के नियमित सदस्य सोमदेव 14 मुकाबलों में खेल चुके हैं और 2010 में भारत को विश्व ग्रुप में पहुंचाने में उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी। सोमदेव दो एटीपी टूर- 2009 चेन्नई ओपन में बतौर वाइल्डकार्ड और 2011 दक्षिण अफ्रीका ओपन- के फाइनल में पहुंचे थे। वे चीन के ग्वांग्झू में हुए 2010 एशियाई खेलों के एकल और युगल स्वर्ण पदकधारी हैं। उन्हें 2011 में देश के दूसरे सर्वोच्च खेल सम्मान अजरुन पुरस्कार से नवाजा गया था। (भाषा)