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सुशील कुमार और नरसिंह की लड़ाई दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची

हमें फॉलो करें सुशील कुमार और नरसिंह की लड़ाई दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची
, सोमवार, 16 मई 2016 (16:53 IST)
दो बार के ओलिंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार देश को ओलिंपिक कोटा दिला चुके नरसिंह यादव के साथ 74 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में ट्रायल कराने की अपनी मांग को लेकर अब दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण में पहुंच गए हैं। 
सुशील ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को पत्र लिखकर ट्रायल की मांग की थी। सुशील की मांग थी कि वह सिर्फ ट्रायल चाहते हैं और जो सर्वश्रेष्ठ पहलवान हो उसे ही ओलंपिक जाना चाहिए।
 
दो बार के ओलिंपिक पदक विजेता सुशील ने कहीं से कोई प्रतिक्रिया न मिलती देख अंतत: अदालत की शरण में जाने का फैसला किया और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर ट्रायल की मांग की है। समझा जाता है कि अदालत में सुनवाई के लिये कल की तारीख तय की है और इस मामले में खेल मंत्रालय फेडरेशन और आईओए को नोटिस भेजा है।
 
सुशील ने इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए समय और उनका आशीर्वाद मांगा था ताकि वे देश के लिए तीसरी बार पदक ला सकें। सुशील ने प्रधानमंत्री कार्यालय में निजी सचिव को पत्र लिखकर मोदी के साथ बैठक के लिए समय मांगा था।
 
 सुशील ने अपने पत्र में लिखा था "जैसा कि आप जानते हैं कि रियो ओलिंपिक का समय नजदीक आ रहा है। अन्य सभी खिलाड़ियों की तरह मैं भी कड़ी मेहनत कर रहा हूं ताकि देश के लिए तीसरी बार पदक ला सकूं। 
 
अपनी कड़ी मेहनत के साथ साथ मैं देश को तीसरी बार पदक दिलाने के लिए श्री मोदी का आशीर्वाद चाहता हूं। इसलिए मेरा आपसे आग्रह है कि श्री नरेंद्र मोदी के साथ जल्द से जल्द एक बैठक करवा दें ताकि वे अपनी बात प्रधानमंत्री के सामने रख सकें। हम इस बात के लिए आभारी रहेंगे।
 
सुशील ने सोनोवाल, आईओए और डब्ल्यूएफआई को भी पत्र लिखकर अपील की थी कि उनका नरसिंह के साथ ट्रायल कराया जाए और उन दोनों में जो पहलवान बेहतर हो वही ओलिंपिक जाए। सुशील के गुरु महाबली सतपाल ने भी कहा था कि दोनों पहलवानों के बीच ट्रायल होना चाहिए और जो बेहतर हो वही ओलिंपिक जाए। 
 
सतपाल ने कहा था कि ट्रायल कराने में कहीं कोई बुराई नहीं है और जो पहलवान ट्रायल जीतकर ओलिंपिक में जाएगा वह अच्छा प्रदर्शन कर सकेगा। हम इस मामले में हर स्तर तक जाएंगे और ट्रायल कराने के लिये कहेंगे और अदालत जाना हमारा आखिरी विकल्प होगा।
 
सुशील अब आखिरी विकल्प के तौर पर अदालत की शरण ले चुके हैं जहां मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई होगी। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह हालांकि यह कह चुके हैं कि जिस पहलवान ने क्वालीफाई किया है वही ओलंपिक जाएगा। दूसरी ओर खेल मंत्री सोनोवाल का भी कहना है कि उनका मंत्रालय डब्ल्यूएफआई के कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।
 
गौरतलब है कि कुश्ती महासंघ की तरफ से भारतीय ओलिंपिक संघ को रियो ओलिंपिक के लिए पहलवानों की जो सूची भेजी गई है, उसमें 74 किग्रा वर्ग में सुशील का नाम नहीं है और अब उन्हें सोनीपत में बुधवार से शुरू हो रहे रियो ओलिंपिक के तैयारी शिविर में भी जगह नहीं दी गई है। शिविर में ओलिंपिक कोटा हासिल करने वाले पहलवानों को ही रखा गया है। (वार्ता)

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