Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

किसी का हाथ नहीं तो किसी का पैर, लेकिन टोक्यो पैरालंपिक में ये 5 खिलाड़ी हैं भारत की सबसे बड़ी उम्मीद

हमें फॉलो करें किसी का हाथ नहीं तो किसी का पैर, लेकिन टोक्यो पैरालंपिक में ये 5 खिलाड़ी हैं भारत की सबसे बड़ी उम्मीद
, मंगलवार, 24 अगस्त 2021 (12:27 IST)
भारतीय पैरालंपियन के पास भले ही शरीर का एक अंग ना हो या कोई हिस्सा निष्क्रिय हो लेकिन वह इसके बावजूद टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने के लिए जी जान लड़ाने वाले है। 
 
भारत के 54 एथलीट; तीरंदाजी, एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), बैडमिंटन, तैराकी, भारोत्तोलन समेत 9 खेलों में भाग लेंगे। यह किसी भी पैरालंपिक में भारत द्वारा भेजी गई अब तक की सबसे बड़ी टीम है। सभी 54 एथलीट टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का हिस्सा हैं। टोक्यो पैरालम्पिक 24 अगस्त से पांच सितम्बर तक खेले जाएंगे।
 
टोक्यो ओलंपिक के बाद अब पैरालंपिक में भी भारत अपनी सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर उतरेगा। 
 
भारत ने 1972 में पहली बार पैरालिंपिक में हिस्सा लिया था और तब से इन खेलों में कुल 12 पदक जीत चुका है। अगर भारत उम्मीद के मुताबिक सफलता हासिल करता है तो इस बार पदक तालिका में शीर्ष 25 में जगह बना सकता है। भारत 2016 रियो पैरालिंपिक में दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक के साथ 43वें स्थान पर रहा था।
 
हालांकि अपनी सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका पाने के लिए भारत को कुछ खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निर्भर रहना पड़ेगा। यह है वो 5 खिलाड़ी जिनसे है टोक्यो पैरालंपिक में पदक लाने की सबसे ज्यादा उम्मीद।
webdunia
देवेंद्र झांझरिया-


बचपन में करंट लगने के कारण अपना बायां हाथ गंवाने वालेझांझरिया
40 साल की उम्र में स्वर्ण पदक की हैटट्रिक के मजबूत दावेदार हैं। वह एफ-46 वर्ग में एथेंस ओलंपिक 2004 और रियो ओलंपिक 2016 में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं और मौजूदा विश्व रेकॉर्ड धारक हैं। उन्होंने एथेंस में 62.15 मीटर के थ्रो के साथ उन्होंने नया विश्व रिकार्ड बनाया था। वहीं रियो में उनके भाले की दूरी 63.97 मीटर थी।
 
उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में टोक्यो पैरलांपिक के क्वालिफिकेशन के दौरान 65.71 मीटर तक भाला फेंका था और अपना ही रिकॉर्ड 63.97 मीटर का पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
 
सकीना खातून-

पैरा पावरलिफ्टिंग के लिए भारत सकीना खातून के रूप में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भेज रहा है।पश्चिम बंगाल में जन्मी सकीना बेंगलुरु स्थित साई राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण ले रही हैं। सकीना, जो महिलाओं के 50 किग्रा तक के वर्ग में भाग लेंगी, अब तक की एकमात्र भारतीय महिला पैरालिंपियन हैं, जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में कोई पदक जीता है। उन्‍होंने वर्ष 2014 में ग्लासगो में यह पदक जीता था। वह पैरा एशियन गेम्स 2018 की रजत पदक विजेता भी हैं। बचपन में हुई पोलियो की गंभीर बीमारी की वजह से ही सकीना दिव्‍यांगता से ग्रस्‍त हो गई हैं। मैट्रिक तक पढ़ाई कर लेने के बाद उन्होंने दिलीप मजूमदार और अपने वर्तमान कोच फरमान बाशा से प्राप्‍त वित्तीय सहायता की बदौलत वर्ष 2010 में पावरलिफ्टिंग प्रशिक्षण शुरू किया।
 
मरियप्पन थंगावेलु-

तमिलनाडु के सलेम जिले के रहने वाले थंगावेलु पांच साल की उम्र में दिव्यांग हो गये थे। घुटने से नीचे का पैर बस से कुचले जाने के बाद स्थाई रूप से दिव्यांग हुए मरियप्पन एक अन्य भारतीय पैरा खिलाड़ी हैं जो 2016 में टी-63 ऊंची कूद में जीते स्वर्ण पदक का बचाव करने उतरेंगे। थंगावेलु ने रियो खेलों में ऊंची कूद स्पर्धा में 1.89 मीटर कूद लगाकर स्वर्ण पदक जीता। वह देश के तीसरे स्वर्ण पदक विजेता पैरालंपियन बने थे।
 
वह अभी दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हैं। वह मंगलवार को उद्घाटन समारोह के दौरान देश के ध्वजवाहक थे लेकिन फ्लाइट में एक कोविड मरीज से संपर्क में आने के बाद अब यह जिम्मेदारी भाला फेंक खिलाड़ी तेक चंद को दी गई है।
 
प्राची यादव- 
26 वर्षीय प्राची यादव पैरालंपिक गेम्स पैरा कैनोइंग प्रतिस्पर्धा में प्रवेश हासिल करने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। वह 2 सितंबर को महिलाओं की वीएल2 200 मीटर हीट्स में भाग लेंगी, उसके अगले दिन सेमी फाइनल और फाइनल होंगे। मई 2019 में पोजनैन, पोलैंड में हुए आईसीएफ पैरा कैनो वर्ल्ड कप में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आगाज करते हुए, वह पहले राउंड और सेमीफाइनल से आगे निकलते हुए आठवें स्थान पर रही थीं। इसके बाद, अगस्त 2019 में जेगेड, हंगरी में हुई आईसीएफ पैरा कैनो वर्ल्ड चैम्पियनशिप वह सेमीफाइनल तक पहुंची थीं।
 
भोपाल में लो लेक में मयंक सिंह ठाकुर के अंतर्गत प्रशिक्षण हासिल करने वाली प्राची को भारत सरकार से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं और खेल विज्ञान समर्थन व किट्स के साथ राष्ट्रीय कोचिंग कैम्प में भागीदारी के रूप में सहायता मिली है। वह कमर के नीचे शारीरिक रूप से अक्षम हैं।
प्रमोद भगत-

बैडमिंटन तोक्यो खेलों के दौरान पैरालंपिक में पदार्पण करेगा और इसमें भारत की पदक जीतने की अच्छी संभावनाएं हैं। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी और कई बार के विश्व चैंपियन प्रमोद भगत पुरुष एसएल 3 वर्ग में स्वर्ण पदक के मजबूत दावेदार हैं। साल 2019 में प्रमोद को सर्वश्रेष्ठ भारतीय दिव्यांग खिलाड़ी के पुरुस्कार से भी नवाजा गया था।  
 
बारगढ़ के अट्टाबीरा गांव से आने वाले प्रमोद के 5 भाई- बहन है। 5 वर्ष की उम्र में ही उनके बायां पैर खराब हो गया था। (वेबदुनिया डेस्क)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पाकिस्तान करेगा अफगानिस्तान टीम की मेजबानी, कोरोना के कारण श्रीलंका में नहीं होगी वनडे सीरीज