Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गुमनामी के अंधेरे में रहने वाला कोच देश का सितारा बना - कृपाशंकर

हमें फॉलो करें गुमनामी के अंधेरे में रहने वाला कोच देश का सितारा बना - कृपाशंकर
, गुरुवार, 30 अगस्त 2018 (00:36 IST)
इंदौर-देपालपुर। कामयाबी किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन जब यह पता चले कि उस कामयाबी की कहानी कई अड़चनों, बेरोजगारी, तमाम मुश्किलों और लोगों के भरोसे के टूट जाने के बाद लिखी गई हो तो बात ही क्या? एशियन गेम्स 2018 में विपरीत हालातों का रुख मोड़ते हुए अपने हौंसले से ऐसी ही कामयाबी की उड़ान भरी है भारतीय महिला कुश्ती टीम व जम्मू कश्मीर के कुश्ती कोच साहिल शर्मा ने। 
 
साहिल शर्मा का नाम कल तक गुमनामी के अंधेरे में था लेकिन आज वे देश के सितारा कोच बन गए हैं। यह बात दंगल फिल्म के लिए सुपर स्टार आमिर खान और अन्य कलाकारों को कुश्ती सिखाने वाले इन्दौर के अर्जुन अवॉर्डी पहलवान कृपाशंकर बिश्नोई ने कही। वह बुधवार को देपालपुर अखाड़े में आयोजित हॉकी के जादूगर के रूप में विख्यात मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के अवसर पर पहलवानों को सम्बोधित कर रहे थे। 
 
उन्होंने कहा साहिल शर्मा ने 18वें एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट और कांस्य पदकधारी दिव्या काकरान को प्रशिक्षण दिया है। इनकी ट्रेनिंग की बदौलत ही एशियाई खेलों में गोल्ड मैडल जीतकर विनेश ने इतिहास रचा है और वह एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं हैं।
webdunia
मुद्दे को उठाते हुए कृपाशंकर ने कहा कि क्या आपको पता है कि इतनी कामयाबी के बाद भी कुश्ती कोच साहिल शर्मा बेरोजगार हैं? कृपाशंकर ने कहा सरकार खेलों को बढ़ावा तो दे रही है लेकिन इसका लाभ सभी को नहीं मिल रहा है। जो प्रशिक्षक खिलाड़ियों को पदक जिताने में मदद करते हैं, यदि सरकार खेल सुविधाओं के साथ साथ प्रारंभ से ही प्रशिक्षकों को भी नौकरी देकर प्रोत्साहित करे तो अधिक से अधिक खिलाड़ियों को उनकी ट्रेनिंग का लाभ मिल सकेगा। इससे युवाओं और खिलाड़ियों का विश्वास भी सरकार के प्रति बढ़ेगा।
 
कृपाशंकर ने कहा कि कुश्ती में चोट लगने और कुश्ती से संन्यास लेने के बाद कोचिंग डिप्लोमा करने वाले साहिल शर्मा अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं। नौकरी को लेकर उन्हें कई बार सांसदों और विधायकों और सरकार से भी संपर्क किया। इस दौरान उन्हें आश्वासन तो काफी मिले पर नौकरी नहीं मिली। अब उनकी शिष्या द्वारा 18वें एशियाई खेलों में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतने के बाद उन्होंने एक बार फिर जम्मू की राज्य सरकार से इस मामले में संपर्क किया है। 
webdunia
यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई मामले ऐसे आए हैं परन्तु अभी तक सरकार की कोई ठोस नीति सामने नहीं आई हैं। ऐसे में खेल को प्रोत्साहन देने की बात खोखला दावा ही नजर आती है।
 
राष्ट्रगान की धुन पर रोंगटे खड़े हो जाते हैं : कुश्ती कोच साहिल शर्मा ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि जब विदेश में भारतीय खिलाड़ी के जीतने पर राष्ट्रगान की धुन बजती है तो वह क्षण बेहद रोमांच भरा होता है। जब विनेश ने जकार्ता एशियन गेम्स के 'विक्ट्री स्टैंड' पर खड़े होकर अपने गले में स्वर्ण पदक पहना और फिर राष्ट्रगान की धुन बजने लगी तो उसे सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए। यही नहीं, पदक जीतने के पीछे की गई वर्षों की मेहनत को याद करके मेरी आंखो में आंसू तक आने लगे।
 
साहिल के अनुसार मेरे द्वारा तैयार किए पहलवानों देश को कई पदक दिए हैं लेकिन इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद भी मैं बेरोजगर हूं। मुझे आज भी कुश्ती कोच के रूप में नौकरी की तलाश है और मुझे विश्वास है कि  भारत सरकार और जम्मू कश्मीर की सरकार अब पदक जीतने के बाद जरुर मेरा सहयोग करेगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत के खिलाफ दो टेस्ट मैचों के लिए वेस्टइंडीज टीम घोषित