हिसार। अब यदि कोई पहलवान अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय शिविर के दौरान डोपिंग में पॉजीटिव पाया जाता है तो न केवल उस पहलवान पर प्रतिबंध लगेगा बल्कि शिविर में नियुक्त सभी प्रशिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
यह फैसला भारतीय कुश्ती महासंघ ने फैसला लिया है। कुश्ती महासंघ सूत्रों ने पुष्टि करते हुए बताया कि यह फैसला हाल ही में लिया गया है तथा फैसले की जानकारी संघ की सभी इकाइयों के साथ-साथ उन प्रशिक्षकों को भी दे दी गई है, जो राष्ट्रीय कुश्ती शिविरों से जुड़े हैं।
सूत्रों के अनुसार पत्र भेज कर सभी को चेतावनी दी गई है कि राष्ट्रीय शिविर में यदि कोई पहलवान प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करता पाया गया तो संबंधित प्रशिक्षकों को बख्शा नहीं जाएगा।
कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पहलवानों के डोप में पॉजीटिव पाए जाने के कुछ मामले सामने आए हैं जिससे न केवल देश की छवि को आघात पहुंचा है बल्कि भारतीय कुश्ती महासंघ को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है। भारतीय कुश्ती महासंघ को 2 पहलवानों के डोप में पॉजीटिव आने पर लगभग 32 लाख रुपए का जुर्माना यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग को अदा करना पड़ा था।
इसलिए यह निर्णय किया गया है कि भारतीय पहलवानों के डोप में पॉजीटिव आने के लिए केवल वही जिम्मेवार नहीं होगा बल्कि उसके साथ इसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय शिविर में नियुक्त प्रशिक्षकों की भी होगी। भारतीय कुश्ती महासंघ का मानना है कि भारतीय प्रशिक्षकों की जिम्मेदारी केवल पहलवानों को ट्रेनिंग देना ही नहीं है बल्कि वे इन पहलवानों की दिनचर्या तथा डोपिंग जैसे गंभीर मामलों के लिए भी पूर्णतया निम्मेदार हैं।
महासंघ ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी प्रशिक्षक को किसी पहलवान पर संदेह होता है तो वह इसकी सूचना कुश्ती महासंघ को दे सकता है और यदि कोई पहलवान प्रशिक्षकों की आज्ञा का पालन नहीं करता है तो इसकी भी सूचना महासंघ को देनी होगी। शिकायत मिलने पर भारतीय कुश्ती महासंघ सबंधित पहलवान के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा।