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पहलवान सुशील 'ट्रायल' मामले की सुनवाई बुधवार तक स्थगित

हमें फॉलो करें पहलवान सुशील 'ट्रायल' मामले की सुनवाई बुधवार तक स्थगित
नई दिल्ली , सोमवार, 30 मई 2016 (22:18 IST)
नई दिल्ली। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार की ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके नरसिंह यादव के साथ 74 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में ट्रायल कराने के मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
              
दिल्ली उच्च न्यायालय में गत शनिवार को सुनवाई दोनों पक्षों की बहस के बाद सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी और इस मामले में सोमवार को भी कोई फैसला नहीं हो पाया। अब इस मामले में बुधवार को आगे की सुनवाई होगी। अदालत में नरसिंह के पक्ष ने अपनी बहस पूरी की, जबकि सुशील के वकील बुधवार को नरसिंह और भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ अपना जवाब रखेंगे। 
         
सुशील के वकील अमित सिब्बल ने कहा, नरसिंह के वकील ने अपनी बहस पूरी कर ली है। हमें अपना जवाब देने के लिए बुधवार का समय दिया गया है। अदालत इस मामले में तमाम पहलुओं को देख रही है। मामला अदालत के विचाराधीन है। इसलिए मैं इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। हम अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे।
      
ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील के गुरु महाबली सतपाल ने भी कहा, सुशील सिर्फ ट्रायल की ही मांग कर रहा है। आप निशानेबाज संजीव राजपूत का मामला देखिए, जिन्‍होंने ओलंपिक कोटा हासिल किया था लेकिन अब उनकी जगह दूसरा निशानेबाज रियो ओलंपिक में हिस्सा लेगा।
 
पद्म भूषण से सम्मानित सतपाल ने कहा, नरसिंह ने जब ओलंपिक कोटा हासिल किया था तब कुश्ती महासंघ को उसी समय स्पष्ट कर देना चाहिए था कि नरसिंह ही रियो जाएगा, लेकिन सुशील की ट्रेनिंग पर पैसा खर्च किया गया और उन्हें ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजा गया। अमेरिका और रूस जैसे देशों में रियो ओलंपिक के लिए  कोटा हासिल करने वाले पहलवानों के भी ट्रायल हो रहे हैं, लेकिन यहां ऐसा करने से फेडरेशन क्यों मना कर रहा है।
       
सतपाल ने साथ ही कहा, सुशील का लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है। यही कारण था कि उसने एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं लिया। सुशील यही मांग कर रहा है कि उसकी फिटनेस देखो और वह पहले भी नरसिंह को हरा चुका है। जब ओलंपिक की बात होती है तो सर्वश्रेष्ठ को ही जाना चाहिए और इस बात का फैसला ट्रायल से ही हो सकता है।
       
उन्होंने साथ ही बताया कि अदालत ने नरसिंह के पक्ष को इस बात को लेकर फटकार लगाई कि फेडरेशन शीर्ष पहलवानों को लेकर राजनीति कर रहा है। उल्लेखनीय है कि फेडरेशन इस बात पर अड़ा है कि जिस पहलवान ने ओलंपिक कोटा हासिल किया है, वही रियो जाएगा।
        
उच्च न्यायालय में नरसिंह का पक्ष रख रहे सीनियर वकील निधेश गुप्ता ने कहा, जुलाई 2014 के बाद से नरसिंह ने तमाम टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया है, जबकि सुशील ने पिछले दो साल में किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है। सुशील ने फिट नहीं होने का जो चिकित्सा प्रमाण पत्र दिया था, वह 35 दिनों के लिए ही वैध था। बाकी समय सुशील क्या कर रहे थे।
 
नरसिंह के वकील ने कहा, ट्रायल कराने की कोई वजह नहीं है। अंतिम समय में ट्रायल नहीं हो सकता है। पहलवानों को दो जून को ट्रेनिंग के लिए पोलैंड जाना है और ऐसे आखिरी समय में ट्रायल का कोई औचित्य नहीं बनता है। हमने अदालत से आग्रह किया है कि सुशील की याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
     
निधेश गुप्ता ने कहा, नरसिंह ने विश्व चैंपियनशिप में पदक और ओलंपिक कोटा हासिल किया और परंपरा यही कहती है कि जिस पहलवान ने कोटा हासिल किया, वही ओलंपिक जाएगा। सुशील ने जार्जिया में जो ट्रेनिंग की थी, वह भारतीय दल से बाहर रहकर की थी।
       
उन्होंने कहा, सुशील ने पिछले दो साल में एक भी टूर्नामेंट में भागीदारी नहीं की और अब वह कैसे मांग कर सकते हैं कि ट्रायल कराओ। हमने अपना पक्ष रख दिया है और अब विपक्षी पक्ष को बुधवार को अपनी बहस पूरी करनी है।
       
सुशील के ट्रायल की मांग में अदालत में तीन बार सुनवाई हो चुकी है और इस पर फैसला नहीं हो सका है। बुधवार को जो भी फैसला निकले एक बात तय है कि हारने वाला पक्ष फैसले के खिलाफ सर्वोच्‍च अदालत में जाएगा। (वार्ता)   

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