- सीमान्त सुवीर
इंदौर का अभय प्रशाल 'शहर के दिल' कहे जाने वाले इलाके में स्थित है और यहां पर होलकर स्टेडियम भी है जहां क्रिकेट के एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय मैचों के अलावा टेस्ट मैच भी संयोजित किया जा चुका है। यहां पर क्रिकेट मैचों के दौरान खेलप्रेमियों की भीड़ जमा होती है और स्थिति चक्का जाम की हो जाती है। शनिवार की दोपहर में यहां पर हजारों कुश्ती प्रेमी जमा थे और लग रहा था कि जैसे कोई क्रिकेट मैच का आयोजन हो..
दोपहर बाद कुश्ती प्रेमियों के अपार जनसमूह और 62वीं राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता के समापन समारोह में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आगमन के मद्देनजर अभय प्रशाल की तरफ जाने वाले रास्ते पर बैरिकेटिंग कर दी गई थी और यातायात विभाग लगातार सक्रिय था, ताकि जाम न लगे।
जंजीरा चौहारे के बाद से लेकर यशवंत तक फुटपाथ पर कारों का रैला सा लग गया था। पिछले तीन दिनों की बनिस्बत आज स्टेडियम के भीतर भी दर्शकदीर्घाएं कुश्तीप्रेमियों से भरी पड़ी थी। अभय प्रशाल में यह सुविधा है कि आप गैलरी से उतरकर नीचे आसानी से आ सकते हैं। इसी का फायदा उठाकर कई कुश्ती प्रेमी ओलंपिक सितारों को करीब से देखने पहुंच गए।
लगातार दो दिनों से अभय प्रशाल में ओलंपियन सुशील कुमार का जलवा भी देखने को मिला। अच्छी बात ये भी दिखी कि इतने बड़े स्टार होने के बाद भी सुशील का व्यवहार बिलकुल नहीं बदला। उन्होंने सैकड़ों कुश्ती प्रेमियों के साथ सेल्फी खिंचवाई और ऑटोग्राफ दिए। हैरत तो यह थी कि कई महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आई थी। सुशील ने उनके साथ भी फोटो खिंचवाने में गुरेज नहीं किया।
साक्षी मलिक ने भी लंदन ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता था और वे भी दर्शकों में आकर्षण का केंद्र बनी रही। जिस तरह लोग सुशील के साथ सेल्फी ले रहे थे, वही आलम साक्षी मलिक के साथ भी था। उन्होंने हर किसी की मुराद पूरी की।
साक्षी ही नहीं, उनके पति सत्यव्रत कादियान भी अब स्टार की श्रेणी में आ गए हैं। रविवार को वो भले ही 97 किलोग्राम भार समूह में कांस्य पदक जीते हो लेकिन अपनी बाउट खत्म करने के बाद जब बाहर आए तो उनसे मिलने और उनके साथ सेल्फी लेने वाले टूट पड़े। अखबारनवीसो ने भी साक्षात्कार लेने में देरी नहीं की।
बीते तीन दिनों से पूरी व्यवस्था को मंच से संभालने वाले और रैफरियों को नसीहतें देने वाले भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह शरण चौथे दिन समापन समारोह में नजर नहीं आए।
ये सही है कि राष्ट्रीय कुश्ती के जरिए ही सही, इंदौर में कुश्ती का अच्छा वातावरण निर्मित हो गया है। मध्यप्रदेश में कुश्ती को चलाने वाले पदाधिकारियों को चाहिए कि वे इसका लाभ उठाकर शहर में एक बार फिर कुश्ती के गौरव को लौटाएं।