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भारतीय संस्कृति से सराबोर है खेलगाँव

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हमें फॉलो करें भारतीय संस्कृति खेलगाँव कॉमनवेल्थ गेम्स दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स
अमित कुमार

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लोग चाहे कुछ भी कहें, लेकिन सच तो यह है कि पूरा खेलगाँव भारतीय संस्कृति की खुशबू से महक रहा है। विदेशी एथलीटों को भारतीय परंपरा की झलक खूब लुभा रही है। कोई मिट्टी से बने रंगों से बनी पेंटिंग पर फिदा है, तो कोई लक़ड़ी पर बनी बारीक नक्काशी का दीवाना हो चला है।

कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए विदेशी एथलीटों का जमावड़ा खेलगाँव में लग चुका है और दिन ब दिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है। कड़ी प्रैक्टिस के बाद खाली समय में एथलीट खूब शॉपिंग करने में जुटे हुए हैं, खेलों के इस महाकुंभ से वे पदक के साथ-साथ भारत से जु़ड़ी यादें भी ले जाना चाहते हैं। चाहे ऑस्ट्रेलिया हो या इंग्लैंड या फिर कोई अफ्रीकी देश कोई भी यहाँ से खाली हाथ नहीं लौटना चाहता।

खेलगाँव के इंटरनेशनल जोन में भारतीय हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम इंपोरियम द्वारा आयोजित मिनियेचर पेंटिंग का स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मिट्टी से बने प्राकृतिक रंगों से तैयार पेंटिंग के लिए विदेशी एथलीटों की उत्सुकता देखते ही बनती है।

स्टॉल की देखभाल कर रही डॉ स्नेह गंगल ने बताया कि विदेशियों को यह खूब लुभ रहा है। हम चाहते हैं कि विदेशी खिलाड़ी भारत के बारे में काफी कुछ जानें। इसी कारण हमने यहाँ इस तरह के स्टॉल बनाए हैं।

उन्होंने कहा, मिनियेचर पेंटिंग काफी विशेष है। इस पेंटिंग में सिर्फ मिट्टी से बने रंगों का ही इस्तेमाल होता है। इसकी एक और खास बात यह है कि इसमें जो ब्रश प्रयोग होता है, उसकी नोक पर सिर्फ एक बाल होता है, इसलिए इसे गिलहरी ब्रश भी कहते हैं। इस पेंटिंग में इतना बारीक काम होता है कि बेहद ध्यान से देखने के बाद ही इसका पता चल पाता है।

बाहर चाहे कितनी ही नकारात्मक बातें हो रही हैं, लेकिन सच तो यह है विदेशी एथलीटों को भारत लुभा रहा है। भारतीय संस्कृति और इतिहास के बारे में वे हमसे ढेर सारे सवाल पूछ रहे हैं। इंग्लैंड की एक एथलीट तो भारतीय व्यंजन बनाना सीखना चाहती है, ताकि वह अपने पति को प्रभावित कर सके।

डॉ स्नेह ने कहा, दिन में कई विदेशी एथलीट यहाँ आते हैं और इसके बारे में जानना चाहते हैं। कई एथलीट तो इसे बनाने की कोशिश करते हैं। आज ही वेल्स की तैराक एना ने यहाँ से पाँच पेंटिंग खरीद कर ले गई। उसे ये पेंटिंग इतनी भाई, वे वह इसे बनना सीखना चाहती है। यही नहीं इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भी यहाँ काफी समय बिता रहे हैं।

सिर्फ मिनियेचर पेंटिंग ही नहीं बल्कि उ़ड़ीसा की प्रसिद्घ पॉम लीफ यानी ताम्रपत्र पर बनी पेंटिंग की बिक्री भी खूब हो रही है। इंटरनेशनल जोन में राष्ट्रीय अवॉर्ड विजेता मोहम्मद मतलूब की लक़ड़ी से बनी कलाकृति भी हिट हो रही है। लकड़ी के एक ही टुकड़े के दोनों ओर बने अलग-अलग डिजाइन वाली कलाकृति अब तक सबसे ज्यादा बिक चुकी है।

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