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मशहूर पहलवान चंदगीराम का निधन

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नई दिल्ली , मंगलवार, 29 जून 2010 (18:34 IST)
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अपने जमाने के दिग्गज पहलवान और बैंकाक एशियाई खेलों (1970) के स्वर्ण पदक विजेता मास्टर चंदगीराम का मंगलवार को यहाँ दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे चंदगीराम को सुबह अपने अखाड़े में ही दिल का दौरा पड़ा। वह 72 साल के थे। उनके परिवार में बेटा जगदीश कालीरमन और बेटी सोनिका कालीरमन हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान हैं।

हरियाणा के हिसार जिले में 1937 में जन्में चंदगीराम ने शुरू से ही कुश्ती को अपना लिया था और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक के अलावा उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते।

वह हिंद केसरी, भारत केसरी और रुस्तम-ए-हिंद भी बने। उन्होंने बाद में युवा पहलवानों को तैयार करने का बीड़ा उठाया और उनके चंदगीराम अखाड़े ने देश को कई नामी पहलवान दिए। भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।

भारतीय ओलिम्पिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, महासचिव रणधीर सिंह, कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष जीएस मंडेर, कोच राजसिंह, अजरुन पुरस्कार विजेता रोहताश, अशोक और ओमवीर के अलावा बीजिंग ओलिम्पिक के काँस्य पदक विजेता सुशील कुमार और विश्व चैम्पियनशिप के काँस्य पदक विजेता रमेश कुमार ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

सुशील ने कहा कि मुझे यहाँ आकर आप लोगों से ही इस बारे में पता चला। उनके निधन से कुश्ती में खालीपन पैदा हो जाएगा, जिससे भरना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कुश्ती जगत में वह काफी सम्मानित थे और सभी उनकी इज्जत किया जा करते थे। मुझे उनके निधन पर गहरा दु:ख है।

विश्व चैम्पियनशिप के काँस्य पदक विजेता और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित रमेश कुमार ने चंदगीराम के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि हम उन्हें देखकर बड़े हुए। मैं जब से कुश्ती से जुड़ा हूँ, तब से उनके बारे में सुनता आया हूँ। कुश्ती में उनका योगदान उल्लेखनीय है और उनके निधन का मुझे काफी दु:ख है। (भाषा)

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