माली का बेटा रोनोल्डो दुनिया का सबसे मालामाल फुटबॉलर
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जून से ब्राजील में शुरू हो रहे विश्व कप फुटबॉल में जिन सितारों पर दुनियाभर की नजरें टिकी होंगी उनमें पुर्तगाल के स्टार फुटबॉलर 29 साल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी शामिल होंगे जिन्हें फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा ने 'गोल्डन बूट' देकर नवाजा गया था।
रियाल मैड्रिड की तरफ से तहलका मचाने वाले रोनाल्डो पर अभी उम्र का असर नहीं हुआ है लेकिन यह भी माना जा रहा है कि यह विश्व कप उनका आखिरी विश्व कप भी साबित हो सकता है। बहरहाल, ये तथ्य भी सबके सामने हैं कि माली का यह बेटा आज दुनिया का सबसे धनवान फुटबॉलर है। आज भले ही रोनाल्डो के पिता इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन गरीब घर में जन्म लेकर 'ठोकर की दुनिया का बादशाह' बनने की उनकी कहानी बेहद दिलचस्प तो है ही साथ ही उन लोगों के लिए मिसाल है, जो गरीबी का रोना रोते रहते हैं और जिंदगी से लड़ने की हिम्मत खो देते हैं।5
फरवरी 1985 का वह दिन था और वक्त था सुबह के 10 बजकर 20 मिनट... तभी डॉक्टर ने जोस डिनिस एवियरो को बताया कि उनकी पत्नी मारिया डोलेरोस ने एक बेटे को जन्म दिया है, तब मारिया की बहन भी अस्पताल में मौजूद थीं।जब उन्हें प्रसूति के बाद जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया तो पिता, जो पेशे से माली का काम करते थे, जश्न मनाने के लिए शराब पीने चले गए... मारिया ने अपनी बहन से कहा कि मेरे बेटे का नाम क्या रखेंगे?तब अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन हुआ करते थे। मारिया ने बहन को सुझाया कि क्यों न हम इसका नाम राष्ट्रपति के नाम पर रख दें। आखिरकार तय हुआ कि इसका नाम रोनाल्डो रखा जाए, जो रोनाल्ड रीगन से मिलता-जुलता रहेगा।तब भला किसे पता था कि रोनाल्डो ने इस हसीन दुनिया में सिर्फ और सिर्फ फुटबॉलर बनने के लिए अपनी आंखें खोली हैं और जब यह जवान होगा, तब लोग क्रिस्टियानो से नाम से पहचानेंगे।रोनाल्डो के पिता सरकारी महकमे में माली के पद पर थे और उनका काम था पार्क और मैदानों की देखभाल करना लेकिन उनके वेतन का ज्यादातर हिस्सा शराब में चला जाता था। टीन का घर था और इसी घर में रोनाल्डो का बचपन बीता।वे घर में फुटबॉल से अभ्यास करते, वह भी मां से छुपकर। रोनाल्डो की मां मारिया अपना घर चलाने के लिए दूसरे के घरों में जाकर खाना बनाने और साफ-सफाई का काम किया करती थी।फुटबॉल की दीवानगी रोनाल्डो के दिमाग पर किस तरह छाई हुई थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह स्कूल से आने के बाद मां से झूठ बोलकर फुटबॉल खेलने चले जाया करता था। जब उसकी उम्र 11 बरस की हुई, तब उसे स्पोर्टिंग लिखन फुटबॉल क्लब के ट्रॉयल्स का प्रस्ताव मिला।
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जो मां कभी उसके फुटबॉल को पसंद नहीं करती थी, उसी ने अपने दिल पर पत्थर रखकर बेटे को घर से दूर भेजा ताकि वह बाप की तरह बड़ा होकर शराब के नशे में न डूब जाए। रोनाल्डो शराब के नशे में तो नहीं डूबे, अलबत्ता उनके जादुई खेल का नशा पूरी दुनिया पर छा गया।