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सुख के सब साथी दुःख में न कोय-अखिल

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खेलगाँव , शनिवार, 2 अक्टूबर 2010 (10:22 IST)
नवीन शर्मा
कॉमनवेल्थ गेम्स के पिछले चैंपियन अखिल कुमार को इस बार बहुत कुछ साबित करना है। चार साल पहले चैंपियन बनने के बाद करियर और जिंदगी में उन्होंने बड़ा उतार-चढ़ाव देखा, मगर जज्बा आज भी बुलंद है।

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बकौल अखिल मंजिलें उनको मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। चोट और खराब फॉर्म के कारण अखिल का प्रदर्शन प्रभावित हुआ।

इस साल टेस्ट इवेंट के रूप में हुई कॉमनवेल्थ मुक्केबाजी चैंपियनशिप में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। नेशनल चैंपियनशिप में वे दूसरे राउंड में बाहर हो गए थे। कभी साथी मुक्केबाजों के पथप्रदर्शक रहे अखिल अब खुद को अकेला महसूस करते हैं।

संगीत प्रेमी अखिल पूछने पर बताते हैं कि आजकल तो भजन सुन रहा हूँ "सुख के सब साथी दुःख में न कोय" मुझे पदक जीते लंबा समय हो चुका है। मैं इस बात को जानता हूँ। हार-जीत और उतार-चढ़ाव तो हरेक की जिंदगी में आते हैं।

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