दुनियाभर में माँसाहार के लिए बेजुबान जानवरों पर होने वाले अत्याचारों की तीव्र भर्त्सना करते हुए बीजिंग ओलिम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार ने इस धारणा को एकदम गलत ठहराया है कि माँस खाने से ज्यादा ताकत आती है। वे खुद इसके गवाह हैं कि शाकाहारी होने से भी उतनी ही ताकत होती है।
बीजिंग ओलिम्पिक खेलों में दुनियाभर के पहलवानों को पटकनी देकर काँस्य पदक जीतने वाले सुशील कुमार यहाँ जानवरों के जीने के अधिकारों के लिए सघर्ष करने वाली गैर सरकारी संस्था 'पेटा इंडिया' के साथ जुड़े।
उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा कि दुनियाभर में माँस खाने का प्रचलन बढ़ रहा है, इसको रोका जाना बहुत जरूरी हो गया है। आज भी जब हम पहलवान लोग विदेश जाते हैं तो वहाँ पर हमें काफी दिक्कत आती है। हमें फल खाकर काम चलाना पड़ता है और घर से ले जाया गया शाकाहारी खाना ही हमारे काम आता है।
सुशील कुमार ने कहा कि दुनियाभर में जानवरों पर अत्याचार किया जा रहा है। इसको रोकने के लिए पेटा इंडिया द्वारा बहुत अच्छा काम किया जा रहा है और शाकाहार को बढ़ावा देने के लिए वे भी इस संस्था से जुडे है।
युवाओं में इन दिनों पहलवानी के बजाय जिम कल्चर का प्रचलन बढ़ने के बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में ओलिम्पिक चैम्पियन ने कहा कि जिम कल्चर बुरा नहीं है। इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त बनता है लेकिन उन्होंने कहा कि भोजन शाकाहारी ही करें।