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मंसूर अली खान पटौदी : प्रोफाइल

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मंसूर अली खान पटौदी 5 जनवरी 1941 को भोपाल में जन्मे थे। उनकी मृत्यु 22 सितंबर 2011 को हुई। 'टाइगर' निकनेम वाले पटौदी एक भारतीय क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे। 1952 से 1971 तक वे पटौदी के नवाब रहे। 1971 में भारतीय संविधान में संशोधन के बाद यह स्टेट भारत सरकार में मिला लिया गया और उनके टाइटल 'नवाब' का भी अंत हो गया। नवाब पटौदी को भारत के सबसे बेहतरीन कप्तान के तौर पर जाना जाता है। 
परिवार और शिक्षा 
 
मंसूर अली खान के पिता इफ्तिखार अली खान एक जाने-माने क्रिकेटर थे। उनकी शिक्षा अलीगढ़ के मिंटो सर्कल में हुई। उनकी आगे की शिक्षा देहरादून (उत्तराखंड) के वेल्हैम बॉयज स्कूल में हुई। उन्होंने हर्टफोर्डशायर के लॉकर्स पार्क प्रेप स्कूल और विंचेस्टर स्कूल में भी अध्ययन किया। मंसूर अली खान ने अरेबिक और फ्रेंच ऑक्सफोर्ड के बैलिओल कॉलेज में पढ़ी। 
 
मंसूर अली खान के पिता की दिल्ली में पोलो खेलते समय मृत्यु हो गई। वे खान के 11वें जन्मदिन पर चल बसे थे। 1952 में मंसूर उनके स्टेट के नौवें नवाब बने। खान का स्टेट भारत सरकार में 1947 में ही मिल चुका था, परंतु उनका 'नवाब' टाइटल 1971 में खत्म किया गया। 
 
क्रिकेट करियर 
 
मंसूर अली खान या पटौदी जूनियर सीधे हाथ के बल्लेबाज और सीधे हाथ के गेंदबाज थे। विंचेस्टर में स्कूल के छात्र खान ने अपने बल्लेबाजी के जौहर दिखाना शुरू कर दिए थे। वे स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान थे। उन्होंने पब्लिक्स स्कूल रैकेट्स चैंपियनशिप भी जीती। 
 
16 साल की उम्र में खान ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सुसेक्स के लिए डेब्यू किया। ऑक्सफोर्ड के लिए खेलने वाले मंसूर अली खान पटौदी पहले भारतीय क्रिकेटर थे। 1 जुलाई 1961 को होव में एक कार एक्सीडेंट में एक कांच का टुकड़ा उनकी आंख में लग गया और उनकी दाईं आंख हमेशा के लिए खराब हो गई। इस एक्सीडेंट के बाद उनके क्रिकेट करियर पर हमेशा के लिए खत्म होने का खतरा मंडरा रहा था, क्योंकि उन्हें दो इमेज दिखाई देने लगी थीं, परंतु पटौदी जल्दी ही नेट प्रैक्टिस पर लौटे और एक आंख के साथ ही बेहतरीन खेलने लगे। 
 
आंख में खराबी आने के 6 महीने से भी कम समय में पटौदी ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की। वे दिल्ली में इंग्लैंड के विरोध में खेले। वे अपनी दाईं आंख कैप के नीचे छुपाकर खेलते थे। मद्रास (चेन्नई) में अपने तीसरे ही टेस्ट में पटौदी ने 103 रन बनाए। उनके इन रनों की बदौलत भारत इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली सीरीज जीतने में सफल हुआ। 
 
1962 में पटौदी को वाइस कैप्टन वेस्टइंडीज टूर के लिए बनाया गया। मार्च 1962 में मंसूर अली खां पटौदी भारतीय टीम के कप्तान नियुक्त किए गए। 21 साल और 77 दिन की उम्र में वे कप्तान बनाए गए। कई वर्षों तक दुनिया के सबसे कम उम्र के कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम रहा जिसे बाद में ततेन्दा तैबु ने मई 2004 में तोड़ा। 2015 के नंवबर तक वे भारत के सबसे कम उम्र के कप्तान और दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के कप्तान रहे। 
 
1962 में नवाब पटौदी 'इंडियन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' रहे। 1968 में वे 'विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' बने। नवाब पटौदी ने 1969 में अपनी आटोबॉयोग्राफी 'टाइगर्स टेल' प्रकाशित की। वे 1974-75 में भारतीय टीम के मैनेजर रहे। 2007 में मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब ने भारत और इंग्लैंड के बीच पटौदी ट्रॉफी का आयोजन किया, जो उनके पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी के सम्मान में आयोजित की गई थी। 
 
पर्सनल लाइफ 
 
नवाब पटौदी ने प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की थी। उनके 3 बच्चे हैं जिनमें बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री सोहा अली खान के अलावा ज्वेलरी डिजाइनर सबा अली खान शामिल हैं।

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