मोहम्मद शाहिद (जन्म - 14 अप्रैल 1960, निधन 20 जुलाई 2016 ) पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी रहे। भारतीय हॉकी के लिए वर्षों तक बेहतरीन योगदान देने वाले शाहिद 20 जुलाई 2016 को इस दुनिया से अलविदा कह गए।
शाहिद भारत के लिए आज तक खेले गए कुछ सबसे बेहतरीन हॉकी खिलाड़ियों में शुमार हैं। उन्हें खासतौर पर उनकी ड्रिबलिंग स्कील (हॉकी खेलने का खास तरीका) के लिए जाना जाता है। वह रूस में 1980 में हुए ओलंपिक के दौरान भारतीय टीम का हिस्सा थे। उन्हें 1980 में अर्जुन अवार्ड और 1986 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
बचपन
मोहम्मद शाहिद का जन्म 14 अप्रैल 960 को उत्तरप्रदेश के शहर बनारस में हुआ। कम उम्र में ही हॉकी खेलना शुरू करने वाले शाहिद की हॉकी प्रतिभा के चलते उन्हें जल्दी ही अच्छे खिलाड़ी के रूप में पहचाना जाने लगा।
करियर
19 साल की उम्र में उन्हें जुनियर इंडियन हॉकी टीम के लिए चुन लिया गया। यह टीम फ्रांस में जूनियर वर्ल्डकप में भाग लेने पहंची। सिर्फ एक साल के कम समय में ही, उन्होंने सीनियर हॉकी नेशनल टीम में जगह बना ली। यह टीम कुंआलालमपुर के हॉकी टूर्नामेंट, चैंम्पियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट, कराची के टूर्नामेंट में भाग लेने पहुंची।
हालांकि भारतीय टीम कराची में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, शाहिद को सबसे अच्छा खिलाडी करार दिया गया। 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारतीय टीम हॉकी का गोल्ड मेडल लेकर आई।
शाहिद 1981-82 में मुंबई में हुए वर्ल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट में भी खेले। जहां भारतीय टीम पांचवे स्थान पर पहुंच पाई। इसके बाद वे कराची के चैंम्पियंस ट्रॉफी 1983 और 1984 में खेले। वह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुए वर्ल्ड हॉकी टूर्नामेंट में भी खेले।
शाहिद लॉस एंजेलिस में 1984 में हुए ओलंपिक में टीम इंडिया के लिए खेले साथ 1988 के ओलंपिक में भी वह हिस्सा बने परंतु भारत कोई मेडल नहीं जीत पाया। 1982 की दिल्ली एशियन गेम्स में शाहिद टीम के लिए खेले। इन गेम्स में टीम सिल्वर मेडल जीत सकी। 1986 के सेओल एशियन गेम्स में टीम कांस्य पदक जीती।
बेहतरीन ड्रिबलर
सिओल के एशिअन गेम्स में उनके जबरदस्त प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें एशियन ऑल स्टार हॉकी टीम के लिए चुना गया। शाहिद को हॉकी में सबसे अच्छा ड्रिबलर माना जाता था। वह भारतीय रेलवे में वेलफेयर इंस्पेकर के तौर पर काम करते थे। उन्होंने रेलवे की टीम का नेशनल हॉकी चैम्पियनशिप में रिप्रेजेंटेशन किया।
कप्तानी
1985-86 में वे भारतीय हॉकी के कप्तान रहे। उन्हें भारतीय सरकार द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 1986 में भारत सरकार ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया।