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सचिन ने 4 पारियों में बनाए महज 75 रन

भारत का मध्यक्रम बना चिंता का विषय

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सीमान्त सुवीर

गाले के मैदान पर भारतीय टीम अपने दोनों ओपनर बल्लेबाजों के अलावा फिरकी गेंदबाज हरभजनसिंह की शानदार ऑफ स्पिन गेंदों की बदौलत दूसरा टेस्ट मैच 170 रन से जीतने में कामयाब रही। कुंबले की सेना को जहाँ तीसरे टेस्ट मैच (कोलंबो) में सिरीज जीतने की महक आना शुरू हो गई है, वहीं दूसरी तरफ टीम प्रबंधन की चिंता मध्यक्रम के निराशजनक प्रदर्शन को लेकर भी शुरू हो गई है।

सचिन तेंडुलकर ने जब श्रीलंका की धरती पर कदम रखा तो यही कयास लगाए जा रहे थे कि वे वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा का टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक 11 हजार 953 रन का रिकॉर्ड तोड़ देंगे।

कोलंबो में पहला टेस्ट मैच खेलने के पूर्व सचिन ने 147 टेस्टों से 11 हजार 782 रन बनाए थे और उन्हें लारा का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 172 रन की जरूरत थी, लेकिन लंका में 'ब्लास्ट' करने की चाहत रखने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर 2 टेस्ट मैचों की चार पारियों में 18.75 के औसत से केवल 75 रन ही बना सके हैं। कोलंबो में दोनों ही मर्तबा वे मुरलीधरन के शिकार हुए तो गाले में उन्हें वास ने अपना शिकार बनाया।

चार पारियों में 75 रनों के बाद भी सचिन पर इसलिए अँगुलियाँ नहीं उठतीं कि वे कई शानदार पारियों के साथ-साथ कई कीर्तिमानों के सिंहासन पर विराजमान हैं। यदि प्रेमदासा की पिच पर सचिन शतक जमाकर दुनिया के सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज बन जाएँ तो कोई हैरत नहीं होना चाहिए, क्योंकि यहाँ पर देखा यह गया है कि जो खिलाड़ी श्रीलंका के अन्य विकेटों पर नहीं चल पाता वह यहाँ पर रनों का अंबार लगा देता है।

भारत के मध्यक्रम के दूसरे असफल बल्लेबाजों की सूची में सौरव गांगुली का नाम आता है। गांगुली ने चार पारियों में 10.75 के औसत से केवल 43 रन अपने नाम के आगे चस्पा किए हैं। कोलंबो में वे 23 और 4 रन बनाकर मुरली की स्पिन के जाल में उलझे तो गाले में उन्हें पहली पारी में वास ने खाता खोलने का मौका भी नहीं दिया। दूसरी पारी में जब वे 16 रन पर थे, मुरली ने उन्हें पैवे‍लियन का रास्ता दिखा दिया।

'द वॉल' कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ 4 पारियों में 12.50 के औसत से 70 रन बना पाए हैं। हालाँकि एक बार वे विवादास्पद ढंग से आउट हुए। चार पारियों में 14, 10, 2 और 44 रन बनाने वाले राहुल द्रविड़ को अजंता मेंडिस की स्पिन गेंदों को खेलने में कठिनाई आई। कोलंबो में दोनों ही प्रसंगों पर वे मेंडिस का निशाना बने, जबकि दूसरे टेस्ट की पहली पारी में फिर उन्हें मेंडिस ने आउट किया, जबकि दूसरी पारी में मुरलीधरन ने द्रविड़ को अर्द्धशतक बनाने से वंचित कर ‍‍दिया।

मध्यक्रम की नाकामी के बावजूद भारतीय टीम गाले में शानदार जीत दर्ज करने में सफल रही। इसकी एक वजह यह रही कि हरभजनसिंह ने आईपीएल में अतीत के काले अध्याय को भूलते हुए विकेट लेने को ही अपना मुख्य अस्त्र बनाया। वे दोनों पारियों में 153 रन देकर 10 विकेट लेने में सफल रहे। टेस्ट क्रिकेट में वे पाँचवीबार और श्रीलंका की धरती पर एक मैच में 10 विकेट लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने।

हरभजनसिंह का टेस्ट रिकॉर्ड (गेंदबाजी)
मैच....पारी.......गेंदें.....रन.....विकेट....सर्वश्रेष्ठ...4 विकेट...5 विकेट...10 विकेट
68.........125.....18625...8837....287...8/84..........8.............22..............5

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