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कुंबले ने संन्यास लेने का फैसला किया

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नई दिल्ली (वेबदुनिया न्यूज) , रविवार, 2 नवंबर 2008 (18:33 IST)
अनिल कुंबले ने रविवार की शाम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट के चलते अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला कर लिया।

फिरोजशाह कोटला के जिस मैदान पर 1999 में कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ सभी 10 विकेट हासिल करके रिकॉर्ड की बराबरी की थी, आज उसी मैदान पर कुंबले अपना अंतिम मैच खेल रहे हैं। कुंबले ने कहा मैं इस मैच की समाप्ति के बाद क्रिकेट को अलविदा कहने जा रहा हूँ।

भारत के इस सबसे कामयाब लेग स्पिनर ने 132 टेस्ट मैचों में 619 और 271 वनडे मैचों में 337 विकेट हासिल किए हैं। बल्लेबाजी में भी हाथ दिखाते हुए कुंबले ने 2506 टेस्ट और 938 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय रन बनाए। धुरंधर लेग स्पिनर कुंबले का फिरोजशाह कोटला में यह सातवाँ टेस्ट था और इन मैचों में उन्होंने 58 विकेट लिए।

कुंबले के संन्यास लेने के बाद अमित मिश्रा के भारतीय टीम में बने रहने के अवसर जहाँ मजबूत हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ हरभजनसिंह पर भी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी।

कुंबले के क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद नागपुर में खेले जाने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट मैच में भारतीय टीम की कप्तानी एक बार फिर महेन्द्रसिंह धोनी संभालेंगे। धोनी की कप्तानी में भारत ने मोहाली टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पर ‍रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी।

पूर्व क्रिकेटर संदीप पाटिल ने कुंबले के संन्यास के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब स्पिन के एक युग का अंत हो गया। प्रसन्ना, बेदी और चन्द्रा के बाद भारतीय स्पिन युग खत्म हो गया था, उसे कुंबले ने पुन: जीवित किया। वे भारतीय क्रिकेट के जाँबाज स्पिनर रहे।

पाटिल के मुताबिक वे आदर्श खिलाड़ी, पिता, पति, पुत्र रहे हैं और उन्हें कितने भी सलाम किए जाए, कम ही पड़ेंगे। मैं उनके इस फैसले का सम्मान करता हूँ और उन्होंने बिलकुल सही वक्त पर यह निर्णय लिया है।

चोट के कारण संन्यास लिया : अनिल कुंबले ने कहा कि मेरा शरीर साथ नहीं दे रहा था और मेरी फिटनेस पर सवाल उठाए गए। मैं कंधे की सर्जरी के बाद भी खेला। मुझे अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा था और मैंने अपना 100 फीसदी मैदान पर दिया।

कुंबले के अनुसार फिरोजशाह कोटला मेरे लिए खास रहा है और यहीं पर मैंने 10 विकेट लेने का करिश्मा किया था। मैंने कल रात ही यह फैसला ले लिया था कि पाँचवें दिन मैं संन्यास की घोषणा कर दूँगा। हालाँकि यह बहुत कठिन फैसला था। मेरा टीम इंडिया के साथ करियर का अनुभव काफी अच्छा रहा।

दबाव में नहीं लिया फैसला : कुंबले ने स्पष्ट किया कि मैंने किसी भी दबाव में आकर फैसला नहीं लिया है, बल्कि स्वविवेक की वजह से मैं सन्यास ले रहा हूँ।

युग का अंत : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की राष्ट्रीय चयन समिति के मुखिया श्रीकांत ने कुंबले के संन्यास लेने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि एक युग का अंत हो गया। वे एक शानदार कप्तान के साथ ही शानदार खिलाड़ी के रुप में याद किए जाते रहेंगे।

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