दिलशान (97) और कुमार संगकारा (84) की बेहतरीन पारियों के बाद उम्दा गेंदबाजी के बूते पर श्रीलंका ने पाँचवें वनडे मैच में भारत को 68 रन से हराकर सांत्वना जीत दर्ज की।
वैसे यह सिरीज 4-1 से भारत के नाम रही। भारत की तरफ से युवराज ने 73, धोनी ने 53 और पदार्पण वनडे में रविन्दर जड़ेजा ने नाबाद 60 रन बनाए। कुमार संगकारा को 'मैन ऑफ द मैच' और युवराजसिंह को 'मैन ऑफ द सिरीज' घोषित किया गया।
भारत आज की हार से आईसीसी वनडे रैंकिंग में तीसरी पायदान पर खिसक गया है, जबकि ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड को हराकर नंबर दो पर आ गया है। अफ्रीका 125 अंक के साथ शीर्ष पर, ऑस्ट्रेलिया 122 अंक के साथ दूसरे और भारत 120 अंकों के साथ तीसरे नंबर पर है।
श्रीलंका द्वारा आज जीत के लिए रखे गए 321 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 48.5 ओवर में 252 रनों पर ही सिमट गई। इस मैच में दिलशान और संगकारा के बीच निभाई गई दूसरे विकेट के लिए 143 रनों की साझेदारी निर्णायक भूमिका अदा कर गई। लंका की तरफ से माहरुफ, मुरलीधरन, मेंडिस और कुलशेखरा ने 2-2 विकेट आपस में बाँटे।
जीत के लिए 321 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही। दूसरे ही ओवर में वीरेन्द्र सहवाग (6) तुषारा की गेंद पर जयसूर्या को कैच थमा बैठे।
तीसरे ओवर में कुलशेखरा ने सुरेश रैना (0) को कुमार संगकारा के हाथों कैच करवाकर भारत को दूसरा झटका दिया। भारत ने 4 ओवर में 2 विकेट खोकर 16 रन एकत्र किए। भारत इन दो झटकों से उबर ही रहा था कि गौतम गंभीर भी 13 रन बनाकर कुलशेखरा का शिकार बन गए।
रोहित शर्मा जब 15 रनों के निजी स्कोर पर थे, तब कुलशेखरा ने उन्हें माहरूफ की गेंद पर लपक लिया। युवराजसिंह वनडे करियर का 39वाँ अर्धशतक जमाने के बाद मुरलीधरन की गेंद पर उन्हीं को कैच थमा बैठे।
पिछले मैचों में विस्फोटक पारी खेलने वाले यूसुफ पठान को आज मुरलीधरन ने कोई आजादी नहीं दी और मात्र 3 रनों पर पगबाधा आउट कर दिया। इस तरह भारत का छठा विकेट पैवेलियन लौटा। जब तक कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी मैदान पर थे, तब तक भारत की उम्मीदें कायम थीं, लेकिन उनके आउट होते ही भारतीय खेमे में निराशा की लहर छा गई। मुरलीधरन की गेंद पर उन्हें कुलशेखरा ने 53 रनों पर लपका।
धोनी के बाद पहला वनडे खेल रहे रविन्दर जड़ेजा ने नाबाद 60 रन बनाए। इरफान पठान, बालाजी और ईशांत दोहरी संख्या तक भी नहीं पहुँच सके। इस तरह भारतीय शेर 48.5 ओवर में 252 रन पर ही ढेर हो गए।
इससे पूर्व इस मैच में नाटकीय मोड़ भी आए। लंका का पहला विकेट 66 पर गिरा, जबकि दूसरा 209 रनों पर। मैच के 42 से 43वें ओवर के बीच श्रीलंका के चार विकेट आउट हुए। इसके बाद भी श्रीलंका 300 के पार पहुँचने में कामयाब रहा। भारत की तरफ से ईशांत शर्मा ने 3 और युवराजसिंह ने 2 विकेट लिए। कुलशेखरा 12 और मुरलीधरन 3 रन बनाकर नाबाद रहे।
पहली बार टॉस जीतते हुए मेजबान टीम के कप्तान महेला जयवर्धने ने बल्लेबाजी करने का फैसला किया। जयसूर्या (37) का विकेट खोने के बाद ऐसा लगा कि भारतीय गेंदबाज लंकाई चीतों को माँद में घुसने पर मजबूर कर देंगे, लेकिन दिलशान और कुमार संगकारा ने ऐसा होने नहीं दिया।
इन दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 143 रनों की भागीदारी निभाकर संकट को टाला ही था कि देखते ही देखते लंकाई विकेट ताश के पत्तों की तरह ढह गए। सबसे दुर्भाग्यशाली दिलशान (93) रहे। ईशांत की गेंद पर जयवर्धने ने स्ट्रोक खेला तब तक दूसरा छोर दिलशान छोड़ चुके थे। युवराजसिंह का सीधा थ्रो उन्हें पैवेलियन भेजने के लिए काफी था।
सुबह भारत को एकमात्र सफलता सनथ जयसूर्या के विकेट के रूप में ही मिली। हालाँकि जयसूर्या जब 19 रनों पर थे, तब इरफान पठान की गेंद पर पाइंट की दिशा में रविन्दर जड़ेजा ने उनका आसान कैच टपकाया था।
जयसूर्या (37) इस जीवनदान का अधिक देर तक लाभ नहीं उठा सके और पठान की गेंद पर ही सुरेश रैना के हाथों लपके गए। श्रीलंका ने पहला विकेट 10.1 ओवर में 66 रन पर खोया था लेकिन उसके बाद भारतीय गेंदबाजों की अग्निपरीक्षा लंकाई बल्लेबाजों ने ली। पूरी सिरीज में यह पहला मौका है जब लंका के बल्लेबाज घरू दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे थे।
श्रीलंका का स्कोर जब 209 रनों पर पहुँचा तब काफी देर बाद भारतीय खेमे में हलचल मची। युवराज की गेंद पर छक्का लगाने के प्रयास में कुमार संगकारा सीमा रेखा पर रोहित शर्मा के खूबसूरत कैच का शिकार हुए। संगकारा और दिलशान ने शतकीय साझेदारी (143 रन) निभाई और कप्तान जयवर्धने को राहत पहुँचाई।
कादम्बी (26) ने जरूर शानदार पारी खेली, लेकिन उनके आउट होने के बाद कपुगेदरा (0), जयवर्धने (1) कोई कमाल नहीं दिखा सके। 42 ओवर में लंका ने तीन विकेट खोए। ईशांत के इस ओवर की दूसरी, तीसरी और छठी गेंद पर विकेट गिरे। पुछल्ले बल्लेबाज माहरूफ 31 रनों पर रनआउट हुए।