मुंबई। दूरसंचार, आईटी तथा टेक, बैंकिंग एवं फाइनेंस के साथ ऑटो क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में हुई बिकवाली के दबाव में बुधवार को घरेलू शेयर बाजारों में लगातार सातवें कारोबारी दिवस गिरावट रही।
बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 113.23 अंक लुढ़ककर एक महीने से ज्यादा के न्यूनतम स्तर 34,082.71 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 21.55 प्रतिशत टूटकर 10,476.70 अंक पर बंद हुआ।
इस साल 30 जनवरी से अब तक सात कारोबार दिवस के भीतर सेंसेक्स 2200.54 अंक और निफ्टी 10,476.70 अंक लुढ़क चुका है मझौले तथा छोटे उद्योगों को ऋण अदायगी में रिजर्व बैंक द्वारा दी गई राहत के कारण दिग्गज कंपनियों के सूचकांकों के विपरीत मझौली तथा छोटी कंपनियों में लिवाली ज्यादा हुई।
बीएसई का मिडकैप 0.43 प्रतिशत चढ़कर 16,350.74 अंक पर और स्मॉलकैप 1.95 प्रतिशत की छलांग लगाकर 17,731.63 अंक पर पहुंच गया। विकास एवं नियामक नीतियों पर रिजर्व बैंक के आज जारी बयान में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन में पिछले दिनों रही अस्थिरता के मद्देनजर जिन मझौले, छोटे तथा सूक्ष्म उद्योगों का 25 करोड़ रुपए तक का ऋण बकाया है और 31 अगस्त तक उनका खाता मानक खाता था, उन्हें 31 जनवरी तक के भुगतान के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है।
इस दौरान उनके ऋण खातों की श्रेणी को भी नीचे नहीं किया जाएगा। शेयर बाजार में सबसे ज्यादा दबाव दूरसंचार, आईटी, टेक, पूंजीगत वस्तुएं, बैंकिंग और वित्त समूहों पर सबसे ज्यादा दबाव रहा। वहीं तेल एवं गैस तथा रियलिटी समूहों का सूचकांक सबसे ज्यादा चढ़ा।
सेंसेक्स की कंपनियों में भारती एयरटेल के शेयर सर्वाधिक दो फीसदी चढ़े। विप्रो में भी करीब दो प्रतिशत की गिरावट रही। कोल इंडिया ने करीब ढाई प्रतिशत और ओएनजीसी ने भी दो प्रतिशत से अधिक का मुनाफा कमाया। सेंसेक्स में कुल 2,868 कंपनियों में कारोबार हुआ। इनमें 1,988 के शेयर बढ़त में और 786 के गिरावट में रहे जबकि 94 कंपनियों के शेयरों के भाव दिनभर के उतार-चढ़ाव के बाद अपरिवर्तित रहे। (वार्ता)