नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अफगानिस्तान में निरंतर बदल रही स्थिति में भारत की प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समूह का गठन किया है। इसमें विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के नेताओं से भी अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां की स्थिति को लेकर लगातार चर्चा कर रहे हैं। पहले औपचारिक और सार्वजनिक रूप से स्वीकृत संपर्क में कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने मंगलवार को तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यूरोपीय परिषद (European Council) के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम और क्षेत्र तथा दुनिया पर उनके प्रभावों के संबंध में चर्चा की।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने यहां एक बयान में कहा कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने एक स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान के महत्व पर जोर दिया और इस संदर्भ में भारत और यूरोपीय संघ की संभावित भूमिका पर चर्चा की।
अफगानिस्तान में पिछले वर्षों में भारत द्वारा किए गए निवेश और अनेक परियोजनाओं के मद्देनजर भारत के हित अफगानिस्तान से काफी गहरे जुड़े हुए हैं इसलिए इसे काफी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस समूह का गठन अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बदलते हालातों के मद्देनजर भारत की नीति और दृष्टिकोण के अनुसार रणनीति बनाने के लिए किया गया है।
इस समूह का कार्य अफगानिस्तान के हर रोज के घटनाक्रम और उसके भारत पर असर पर नजर रखने का है। यह समूह पिछले कुछ दिनों से नियमित तौर पर बैठक कर रहा है।
मोदी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद ट्वीट किया कि यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ अफगानिस्तान में व्याप्त स्थिति के बारे में बात की। साथ ही भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों को और मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराया।
पीएमओ ने कहा कि नेताओं ने अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम और क्षेत्र तथा दुनिया पर इसके प्रभावों के बारे में चर्चा की। पीएमओ के अनुसार, दोनों नेता द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों, विशेष रूप से अफगानिस्तान की स्थिति पर संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।
अभी अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता वहां से लोगों की सुरक्षित वापसी तथा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर है। इसके साथ ही इस बारे में भी रणनीति बनानी है कि आने वाले समय में अफगानिस्तान की जमीन से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधि न संचालित की जाएं।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अगस्त माह में भारत की अध्यक्षता के समापन सत्र में अफगानिस्तान से लोगों की सुरक्षित वापसी और आतंकवाद से मिलकर मुकाबला करने तथा वहां अल्पसंख्यकों की रक्षा के संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया है।
सरकार ने विपक्षी दलों को भी अफगानिस्तान के मुद्दे पर विश्वास में लेने की कवायद के तहत उन्हें अफगानिस्तान की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने करीब सभी विपक्षी दलों के संसदीय नेताओं की संसदीय सौंध में पिछले सप्ताह हुई बैठक में इस बारे में सभी पहलुओं से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वहां फंसे भारतीयों को वापस लाना अभी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
भारत ने अफगानिस्तान से पिछले सप्ताहों के दौरान 6 उड़ानें संचालित कीं जिनमें भारतीय नागरिकों सहित 550 से अधिक लोगों को वापस लाया गया।
भारतीय राजदूत की तालिबान से मुलाकात : पहले औपचारिक और सार्वजनिक रूप से स्वीकृत संपर्क में कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने मंगलवार को तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। उन्होंने भारत की उन चिंताओं को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि चर्चा अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और जल्द वापसी तथा अफगान नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की भारत यात्रा पर केंद्रित रही। भारतीय राजदूत और तालिबान नेता के बीच बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में तालिबान के अनुरोध पर हुई। मंत्रालय ने कहा कि तालिबान के प्रतिनिधि ने राजदूत को आश्वासन दिया कि 'इन मुद्दों' पर सकारात्मक रूप से गौर किया जाएगा।