नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान ने बुधवार को भारत के कम से कम दो कॉन्स्यूलेट में प्रवेश किया और वहां दस्तावेजों की तलाशी ली। इस दौरान वे यहां पार्क की गई कारें भी अपने साथ ले गए। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके मायने यह हैं कि संगठन उन वादों के खिलाफ काम कर रहा है, जो इसके नेता दुनिया से कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि तालिबान के सदस्यों ने कंधार और हेरात के बंद पड़े भारतीय कॉन्स्यूलेट में 'तोड़फोड़' की। उन्होंने दस्तावजों की तलाशी ली और दोनों कॉन्स्यूलेट में पार्क किए गए वाहनों को ले गए।
इस 'छापे' के कुछ दिन पहले तालिबान ने कहा था कि वह नहीं चाहता कि भारत, काबुल का दूतावास खाली करे। सूत्रों के मुताबिक इस बाबत उसने भारत को संदेश भी भेजा था। भारतीय राजनयिकों को बने रहने का अनुरोध सीधे तौर पर नहीं किया गया था, बल्कि संपर्क सूत्र के जरिए किया गया था। गौरतलब है कि राजधानी काबुल पर नियंत्रण करने के बाद तालिबानियों ने घर-घर जाकर तलाशी अभियान प्रारंभ किया है, वे उन अफगानियों को तलाश रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी, नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्युरिटी में काम किया है। इस बीच न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के एक गोपनीय दस्तावेज में कहा गया है कि तालिबान, अमेरिका और नाटो बलों के साथ काम करने वाले लोगों की तलाश में जुटा है। हालांकि आतंकी संगठन ने कहा था कि वह विरोधियों से बदला नहीं लेगा।
वैसे अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बीच लोग इस 'आतंकी संगठन' के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। पूर्व में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने (Ahmed Masood) अब 'इस संगठन' के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तालिबान के खिलाफ छेड़ी गई इस जंग में अहमद मसूद ने दुनिया से भी मदद भी मांगी है। अहमद मसूद ने कहा कि मुजाहिदीन लड़ाके एक बार फिर से तालिबान से लड़ने को तैयार हैं। हमारे पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद है।
अफगान नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के नेता अहमद मसूद ने तालिबान के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का ऐलान करते हुए पिता की राह पर चलने के माद्दा दिखाया है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया था। उन्हें संयुक्त अरब अमीरात शरण दी है। संयुक्त अरब अमीरात ने बुधवार को कहा कि वह तालिबान के अधिग्रहण के बीच अफगानिस्तान से भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी की 'मानवीय आधार पर' मेजबानी कर रहा है।