राधाकृष्णन ने कहा था-
'यदि दुनिया में आए हैं और किसी भगोड़े के बदले सहज रूप से रहना चाहते हैं तो अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़ना होगा। विचार तर्कसंगत रखने होंगे, क्रियाओं को लाभप्रद रखना होगा और समाज में उन संस्थाओं को बनाना होगा, जो उसके शुभ को अक्षुण्ण रखें।'